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बेहद सीमित है प्लाज्मा थैरेपी की भूमिका, स्टेरॉयड तभी कारगर जब समय पर दिए जाएं – डॉ. रणदीप गुलेरिया

कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर की मांग लगातार बनी हुई है। ऐसे दौर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी की भूमिका सीमित ही है।

Apr 22, 2021 / 08:33 am

विकास गुप्ता

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली । कोरोना की दूसरी लहर पहली से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। महामारी के इस मुश्किल वक्त में हॉस्पिटल बेड्स, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर की मांग लगातार बनी हुई है। ऐसे दौर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी की भूमिका सीमित ही है। डॉ. गुलेरिया ने कोविड-19 को लेकर कई अहम सवालों के जवाब दिए।

क्या कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर कारगर है?
रेमेडेसिविर को लेकर चीन में किए गए सबसे पहले शोध में इस ड्रग के कोई फायदे नहीं दिखे। डब्ल्यूएचओ ने बड़े स्तर पर जो शोध किया था वो भी ‘रिकवरी ट्रायल’ था। रेमडेसिविर कोई जादुई बुलेट नहीं है। हमने इसका इस्तेमाल सिर्फ इसलिए किया था क्योंकि हमारे पास कोई एंटी-वायरल ड्रग नहीं था। एक अच्छी एंटी वायरल ड्रग खोजने में हमने कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं की है।

क्या रेमडेसिविर को घर ले जाया जा सकता है?
रेमडेसिविर घर के इस्तेमाल व केमिस्ट की दुकान से खरीदने के लिए नहीं बनाई है। यह एक वायल है जो शरीर में इंजेक्ट की जाती है। यह अस्पताल में भर्ती गंभीर रोगियों के लिए है।

किन मरीजों को रेमडेसिविर दी जा सकती है?
बड़े अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रेमडेसिविर सिर्फ उन्हीं मरीजों को दी जानी चाहिए, जो अस्पताल में भर्ती हैं। जिनका ऑक्सीजन लेवल एकदम निचले स्तर पर पहुंच गया है और जिनमें संक्रमण का पता चेस्ट एक्स-रे या सीटी स्कैन में चले। हल्के और बिना लक्षण वाले मरीजों को यदि इसे दिया जाता है तो इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।

क्या कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड प्रभावी हैं?
केवल एक चीज, जो काम करती है, वो है स्टेरॉयड। लेकिन वो भी तब, जब समय पर दिए जाएं। यदि स्टेरॉयड जल्दी दे दिए गए, तो रोगियों की मृत्यु दर बढ़ जाएगी। ये केवल मॉडरेट और गंभीर बीमारियों में उपयोगी हैं।

क्या कोरोना से लडऩे में प्लाज्मा थैरेपी कारगर है?
प्लाज्मा थैरेपी से जुड़े शोध बता रहे हैं कि इसका भी कोई ज्यादा फायदा नहीं है। मतलब प्लाज्मा की भी बहुत सीमित भूमिका है।

क्या कोरोना संक्रमित टोसिलीजूमाब ले सकता है?
टोसिलीजूमाब को अभी तक सिर्फ 2त्न रोगियों पर टेस्ट किया गया है। इसका भी सीमित रोल है। अंतरराष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल तो टोसिलीजूमाब को रेकमंड तक नहीं कर रहे हैं।

क्या फेविपिरावीर कोविड 19 में कारगर है?
फेविपिरावीर दरअसल इन्फ्लूएंजा के उपचार के लिए काम आती है। उनके लिए, जिन्हें टैमीफ्लू से एलर्जी है। कोविड के उपचार में ये कितनी उपयोगी है, इसके उत्तर में डेटा बहुत अच्छा जवाब नहीं देते। यह ‘सिद्ध उपचार’ भी नहीं है। चूंकि हमारे पास एंटी-वायरल दवा नहीं है, इसलिए इसका उपयोग कर रहे हैं।

रेमडेसिविर, टोसिलीजूमाब या फेविपिरावीर के बिना भी कोरोना का इलाज संभव है?
हल्के या लक्षणहीन संक्रमितों का इलाज लाक्षणिक ट्रीटमेंट से संभव है। विदेशों में पेरासिटामोल, अच्छे हाइड्रेशन से ही इलाज कर रहे हैं।

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