
नई दिल्ली। जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के नाम पर केंद्र सरकार की तरफ से सवाल उठाए जाने के बाद से कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव के हालात बने हुए हैं। इसके पीछे मुख्य वजह केंद्र और न्यायपालिका के बीच सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति को लेकर विवाद अभी तक खत्म नहीं हो पाया है। इन विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की आज बैठक होगी। इस पर सभी की नजरें टिकीं हैं। इस मामले में सबसे अहम सवाल यही है कि कोलेजियम की तरफ से उनका नाम आगे बढ़ाने के बाद भी केंद्र सरकार को उनकी नियुक्ति पर ऐतराज क्यों है?
सरकार के तर्क
केंद्र सरकार का कहना है कि वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस केएम जोसेफ का नंबर 42वां है। अभी भी हाईकोर्ट के करीब 11 जज उनसे सीनियर हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में केरल का प्रतिनिधित्व पहले से ही ज्यादा है। कोलकाता, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और कई हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के प्रतिनिधि अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है। जस्टिस केएम जोसेफ केरल से आते हैं। केरल के दो हाईकोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में हैं। पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में SC/ST का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कोलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट का ही एक सिस्टम है। अगर केरल के ही एक और हाईकोर्ट जज की नियुक्ति की जाती है तो यह सही नहीं होगा।
कोलेजियम सहमत नहीं
जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश कोलेजियम करती है। कोलेजियम ने जोसेफ के नाम केंद्र के पास भेजा था। केंद्र ने अपनी आपत्ति पहले ही दर्ज करा चुकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति रोकने से संतुष्ट नहीं है। कानूनी प्रावधान यह है कि अगर कोलेजियम दोबारा उन्हीं के नाम का प्रस्ताव केंद्र के समक्ष भेजती है तो केंद्र सरकार नियुक्ति को हरी झंडी देने के लिए बाध्य है। जहां तक वरिष्ठता और राज्यों के प्रतिनिधित्व का सवाल है तो इसका उल्लंघन पहले भी हो चुका है। वरिष्ठतम जज को ही सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नियुक्त करना नियमानुसार बाध्यकारी नहीं है।
कोलेजियम में कौन जज हैं शामिल?
कोलेजियम में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। सभी जज जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति पर सरकार के जवाब पर आज चर्चा करेंगे। उम्मीद है कि जोसेफ के नाम को ही दोबारा केंद्र के पास भेजा जाएगा।
कई जज उठा चुके हैं सवाल
सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। पहले जस्टिस चेलमेश्वर फिर जस्टिस कुरियन जोसफ और पिछले हफ्ते जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर जोर दिया। इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि कानून कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम जो चाहेगा वही होगा। जबकि सरकार चाहती है कि अगर उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो कोलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करेगी और उसे मंजूरी नहीं देगी। सरकार की मंशा साफ है कि वह जस्टिस जोसेफ को जज नहीं बनने देंगे। आपको बता दें कि जोसेफ ने 2016 में उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन को खारिज कर दिया था।
Published on:
02 May 2018 10:31 am
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