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सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाने का कोई अधिकार नही: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य का कहना हैं कि सुप्रीम कोर्ट का काम सिर्फ फैसला सुनाना है, वह कोई कानून नहीं बना सकता

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Ekktta Sinha

Jan 10, 2018

SC doesnt have right to make law muslim law board on triple talaq

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के कानून बनाने पर सवाल खड़े कर दिए है। बोर्ड के सदस्य मौलाना अताउर रहमान रशदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ कानून को ध्यान में रखकर किसी मामले में अपना फैसला सुना सकता है। उसे कानून बनाने का कोई हक नहीं है। दरअसल मौलाना अताउर रहमान रशदी ने यह सवाल तीन तलाक से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया था। मौलाना के मुताबिक तीन तलाक के मसले में कोर्ट की भूमिका बुनियादी अधिकारों के हनन की रही है। इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने शरियत के मामलों में सुप्रीम कोर्ट और सरकार के दखल को गलत बताया।

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लोकसभा में पास, राज्यसभा में अटका
पिछले साल 28 दिसंबर को तीन तलाक का बिल लोकसभा में पेश किया गया था। इस बिल को न पास करने के लिए संसद में कई संशोधन भी पेश किए गए थे। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी संशोधन पेश किया था। फिर भी सभी संशोधन को खारिज करते हुए यह बिल लोकसभा में पास हो गया था। मौजूदा सरकार का तर्क था कि चूंकि यह बिल धर्म, पूजा और विश्वास से जुड़ा नहीं है इसलिए इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। अब यह बिल राज्यसभा में अटका है। इस बिल के कुछ नियमों को लेकर विपक्ष अड़ा हुआ है। वह इसके प्रस्तावित कानून में तीन बार तलाक कहने पर पति के ऊपर आपराधिक मुकदमा किए जाने के खिलाफ है। शीतकालीन सत्र में यह बिल राज्य सभा से पास नहीं हो पाया था।

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