
नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मोबाइल से लिंक करने के मामले में कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यदि ममता बनर्जी को केंद्र के कानून से कोई आपत्ति है तो राज्य की तरह नहीं एक आम नागरिक की तरह याचिका दायर करें। कोर्ट ने कहा कि केंद्र के बनाए कानून को राज्य कैसे चुनौती दे सकता है?
कोर्ट ने ममता सरकार से कहा है कि अगर ऐसा होता है तो राज्य के बनाए कानून पर केंद्र भी चुनौती देगा। अगर किसी कानून से परेशानी हो रही है तो एक नागरिक के रूप में याचिका लगाइए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में सुधार के लिए ममता बनर्जी को चार सप्ताह का समय दिया है। शीर्ष कोर्ट केंद्र सरकार के विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ लगाई याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह याचिका पश्चिम बंगाल सरकार ने लगाई थी जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की। पश्चिम बंगाल सरकार ने उस प्रावधान को चुनौती दे रहा है, जिसमें कहा गया है कि आधार के बगैर समाज कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा।
ममता ने कहा था फोन काट दो आधार से नहीं जोड़ूंगी
25 अक्टूबर को कोलकाता में एक बैठक में ममता बनजी ने आधार को मोबाइल फोन नंबर से जोड़े जाने का भी विरोध करते हुए कहा था, ''आधार नंबर को किसी के मोबाइल फोन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मैं अपने आधार नंबर को अपने मोबाइल से नहीं जोड़ूंगी, मेरा कनेक्शन कट जाए तो भी नहीं। ममता बनर्जी ने कहा था कि आधार को मोबाइल से लिंक कराना लोगों की निजता में अतिक्रमण है। केंद्र सरकार लोगों की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप कर रही है और उनकी आजादी को समाप्त कर रही है। सुरक्षा कारणों से आधार बैंकों के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन वे लोग मोबाइल फोन कनेक्शन के लिए भी आधार संख्या मांग रहे हैं। ममता ने कहा था कि इसका मतलब है कि पति और पत्नी के बीच निजी बातचीत को भी टेप किया जा सकता है। केंद्र की वर्तमान सरकार के अधीन लोगों को कोई अधिकार नहीं है।गौरतलब है कि आधार लिंक करने को लेकर शीर्ष कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।
Published on:
30 Oct 2017 12:16 pm
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