20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘सोने’ से महंगी पड़ रही ‘गढ़ाई’, खरीद से ज्यादा खर्चा हुआ मैंटीनेंस में

वोल्वो को नकार स्वीडिश कंपनी स्कैनिया से 30 करोड़ में खरीदी थी 27 लग्जरी बसें, छह बसें रख-रखाव के इंतजार में खड़ी हैं यार्ड में, बस के सौदे में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पर भी लगे थे घूस लेने के आरोप

2 min read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Mar 13, 2021

scania_buses.jpg

scania_buses.jpg

घूस लेने के आरोपों से घिरे स्वीडन की ट्रक व बस निर्माता कंपनी स्कैनिया से हुए सौदे में खास बात ये भी है कि राजस्थान रोडवेज के लिए स्कैनिया की जिन 27 लक्जरी बसों की खरीद की गई थी उनका रख-रखाव सोने से ज्यादा उसकी गढ़ाई महंगी की तरह भारी साबित हो रहा है। बसों की खरीद 30 करोड़ रुपए में की गई थी जबकि उनके मेंटीनेंस पर अब तक 33 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

वर्तमान में 27 में से 21 बसें ही सडक़ पर दौड़ रही हैं और छह मेंटीनेंस के इंतजार में यार्ड में खड़ी हैं। गौरतलब है कि हाल ही में स्वीडिश न्यूज चैनल ने खुलासा किया था कि स्कैनिया बस के ठेके में घूस दी गई थी। रिपोर्ट में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पर भी आरोप लगाए गए।

जिस वोल्वो को नकारा उससे कमतर
पंद्रह साल से सफलतापूर्वक चल रही वोल्वो बस को नकार कर स्वीडिश कंपनी स्कैनिया से 27 लग्जरी बसों की खरीद की गई, जबकि दोनों बसों की कीमतें लगभग समान थीं। स्कैनिया की मेंटीनेंस कीमत कम और पाट्र्स की लागत ज्यादा थी। लेकिन स्कैनिया वोल्वो की तुलना में कमतर साबित हो रही हैं।

40 हजार किमी पर ही टायर खराब
स्कैनिया की 27 बसें अब तक काफी चल चुकी हैं। वहीं 10 बसें दस लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं। वोल्वो व अन्य बसों अपेक्षा इसके टायर भी जल्दी खराब हो रहे हैं। वहीं इन बसों के पुर्जे भी तुलनात्मक रूप से जल्दी व अधिक खराब हो रहे हैं। ऐसे में हमेशा 5-7 बसें यार्ड में ही नजर आती हैं।

खास-खास
- 2015 से 17 के बीच खरीदी गई थी 27 स्कैनिया बसें भाजपा सरकार के कार्यकाल में।
- 10 मल्टीएक्सएल बसें 1.16 करोड़ रुपए प्रति बस की लागत से खरीदी गई थी।
- 2016-17 में 17 बसें 1.02 करोड़ रुपए प्रति बस की लागत से खरीदी गई।
- 05 साल तक इन बसों के मेंटीनेंस का ठेका भी स्कैनिया को ही दिया गया।
- 1.52 रुपए प्रति किमी के हिसाब से आज तक राशि स्कैनिया कंपनी को दे रहा है रोडवेज निगम।

यह गंभीर मामला है। मोदी सरकार में बस खरीद में भ्रष्टाचार हुआ है। उस समय राजस्थान में भी भाजपा की सरकार थी। भाजपा सरकार अपनी भूमिका स्पष्ट करे। हम राज्य में पूरे मामले की जांच करवाएंगे।
- प्रताप सिंह, परिवहन मंत्री