डॉ. शांता को सोमवार रात करीब नौ बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां मंगलवार तड़के 3.55 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर को ओल्ड कैंसर इंस्टीट्यूट परिसर में ले जाया गया है, जिसे उन्होंने अपने गुरु डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ मिलकर बनवाया था।
कोरोना से जंग के बीच भारत बायोटेक ने जारी किया बड़ा अलर्ट, खुद बताया कि ना लगाएं कोवैक्सीन का टीका, जानिए क्या है वजह ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त वैज्ञानिक एस चंद्रशेखर उनके मामा और प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन उनके नाना के भाई थे।
पीएम मोदी को याद आई वो खास मुलाकात
डॉ. शांता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर डॉ. शांता के साथ खास मुलाकात को भी याद करते हुए साझा किया। पीएम मोदी ने लिखा- ‘डॉ शांता को शीर्ष गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल सुनिश्चित करने के उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।
डॉ. शांता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर डॉ. शांता के साथ खास मुलाकात को भी याद करते हुए साझा किया। पीएम मोदी ने लिखा- ‘डॉ शांता को शीर्ष गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल सुनिश्चित करने के उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।
अद्यार, चेन्नई में कैंसर संस्थान गरीबों और दलितों की सेवा करने में सबसे आगे रहा है। मुझे 2018 में संस्थान की अपनी यात्रा याद है। डॉ. वी शांता के निधन से दुखी हूं। ऊं शांति।’
डोकलाम विवाद के बाद चीन ने फिर दिखाई दादागिरी, अब भारतीय सीमा में घुसकर बसाया गांव आपको बता दें कि डॉ. वी शांता को सभी मरीजों को गुणवत्तापूर्ण और किफायती कैंसर उपचार देने के लिए जाना जाता था। अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक सक्रिय थीं। उनके सहकर्मियों ने बताया कि वह कुछ दिनों से अच्छा महसूस नहीं कर रही थीं। महामारी के समय भी वे स्वास्थ्य संबंधी नई चुनौतियों को लेकर चिंतित थीं।