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हिमालय की झील में मिले नरकंकाल बने पहेली

- 1942 में सबसे पहले ब्रिटिश फॉरेस्ट गार्ड ने देखे थे झील में अवशेष - रूपकुंड के रहस्य पर कई विदेशी वैज्ञानिकों ने अपनी राय रखी है।

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हिमालय की झील में मिले नरकंकाल बने पहेली

हिमालय की झील में मिले नरकंकाल बने पहेली

नई दिल्ली। हिमालय के ऊंचाई वाले इलाके की एक झील के रहस्य खोज का विषय बने हुए हैं। झील रूपकुंड के नाम से जानी जाती है। इसमें मिलने वाले 'मानव कंकालों' का रहस्य जटिल पहेली है। इन्हें लेकर कई कयास लगाए जाते रहे हैं। झील में तीन सौ से आठ सौ लोगों की हड्डियां बताई जाती हैं। इन कंकालों को सबसे पहले 1942 में ब्रिटिश फॉरेस्ट गार्ड ने देखा था। इन कंकालों की 2019 में विस्तृत डी एनए जांच की गई। रिपोर्ट पत्रिका नेचुरल कम्यूनिकेशन में प्रकाशित की गई। पता चला कि झील में पाए गए सैंकड़ो नर कंकालों में कम से कम 14 लोग दक्षिणी एशिया से संबंध नहीं रखते। उनके जीन भूमध्यसागरीय आधुनिक लोगों से मिलते-जुलते हैं। रूपकुंड के रहस्य पर कई विदेशी वैज्ञानिकों ने अपनी राय रखी है।

अलग-अलग युद्धों में मारे गए-
रूपकुंड की कहानी का सबसे रहस्यमय पहलू यह है कि ये कंकाल आए कहां से। माना जा रहा है कि इनमें पुरुष व महिलाओं, दोनों के कंकाल हैं। इनमें से ज्यादातर युवा हैं। ये अलग-अलग युद्धों में मारे गए होंगे।

5 हजार मी. ऊंचाई पर-
उत्तराखंड की रूपकुंड झील समुद्र तल से 5,029 मी. ऊंचाई पर है। यहां बिखरे कंकालों की वजह से इसे कंकाल झील भी कहा जाने लगा। झील के चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ हैं। झील लगभग 2 मीटर गहरी है।


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