कैप्टन साठे बेहद ही बहादुर और अनुभवी पायलट थे। दीपक साठे के पिता सेना में ब्रिगेडियर थे। उनका पहला बेटा कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। अब उन्होंने अपना दूसरा बेटा खोया है। दीपक देश के उन चुनिंदा पायलटों में से एक थे, जिन्होंने एयर इंडिया ( Air India Plan Crash ) के एयरबस 310 विमान और बोइंग 737 को उड़ाया था।
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अंत तक करते रहे बचाने की कोशिश
कैप्टन दीपक साठे और उनके को-पायलट कैप्टन अखिलेश कुमार ने विमान को बचाने की बहुत कोशिश की। उन्होंने अंतिम सांस तक विमान को रोकने की कोशिश की, लेकिन विमान हादसे का शिकार हो गया। कैप्टन साठे और अखिलेश दोनों की गिनती देश के बेहतरीन पायलटों में की जाती थी।
कौन हैं कैप्टन दीपक साठे
कैप्टन दीपक साठे का परिवार परिवार मुंबई के पवई में रहता है। उन्हें जून 1981 में सेना में नियुक्ती मिली थी और जून 2003 में यानी 22 वर्षों के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। इस दौरान जून 1992 में स्क्वाड्रन लीडर से भी सम्मानित किया गया। सेना से रिटायर के बाद वह एयर इंडिया के पैसेंजर्स फ्लाइट उड़ाने लगे। कैप्टन साठे को नेशनल डिफेंस एकेडमी के 58वीं कोर्स में गोल्ड मेडल मिला था। इसके बाद उन्होंने एयरफोर्स एकेडमी ज्वाइन की। यहां 127वें पायलट कोर्स में उन्होंने टॉप किया और इसके लिए उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया।
पिता ने खोया दूसरा बेटा
बता दें कि कैप्टन साठे के भाई पाकिस्तान से युद्ध के दौरान कारगिल में शहीद हो गए थे। वहीं, पिता सेना में ब्रिगेडियर पद से रिटायर हुए थे। साठे एयर इंडिया एक्सप्रेस की बोइंग 737 फ्लाइट उड़ाने से पहले एयरबस 310 भी उड़ा चुके हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल के वह टेस्ट पायलट भी रहे।
यात्रियों की बची जान
बता दें कि एयर इंडिया का विमान IX 1344 दुबई से कोझिकोड के लिए उड़ान भर कर केरल पहुंचा था। इसी दौरान करीपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जब विमान रनवे पर उतरा तो लैंडिंग के वक्त विमान 30 फीट नीचे गिर गया। विमान का अगला हिस्सा दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वह दो भागों में विभाजित हो गया। अब तक इस घटना में 14 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 138 लोग दुर्घटना में घायल हुए हैं।