स्त्रियों के हक में आए फैसले के साथ स्वामी केरल के सबरीमला में तनाव की स्थिति बनी है। मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश को अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दी है। सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खड़े हुए हैं। उनका कहना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है, लेकिन अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है। तीन तलाक भी इसी तरह की परंपरा थी, लेकिन जब इसे खत्म किया गया तो सब लोग प्रशंसा कर रहे थे। वहीं हिंदू अब सड़कों पर आ गए हैं
‘शास्त्रों में संशोधन किया जा सकता है’ सुब्रमण्यम स्वामी ने हिंदू समुदाय पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हिंदू पुनर्जागरण और अंधकारवाद (सुधार या ज्ञान विरोधी मत) के बीच है। पुनर्जागरण कहता है कि सभी हिंदू बराबर है और जाति व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने इस के पीछे तर्क देते हुए कहा कि क्योंकि आज कोई ब्राह्मण केवल बौद्धिक नहीं है, वे सिनेमा, व्यापार में भी हैं। यह कहां लिखा गया है कि जाति जन्म से है? शास्त्रों में संशोधन किया जा सकता है।
भाजपा का सरकार को अल्टीमेटम आपको बता दें कि कई संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं और इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की। भाजपा की केरल इकाई ने मंदिर की परंपरा को कायम रखने की मांग की है। साथ ही सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि मुख्यमंत्री नास्तिक हैं। वह कुछ नहीं जानते हैं। ऐसे में हमारे धर्म और विश्वास पर वह कैसे फैसला कर सकते हैं। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि अगर बुधवार को कुछ अनहोनी होती है, तो इसके लिए केरल सरकार जिम्मेदार है