
दिल्ली सीलिंग: सर्वोच्च अदालत ने लगाई रोक, 11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
नई दिल्ली: दिल्ली में कूड़े की ढेर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने पूछा कि अभी तक कूड़े को क्यों नहीं उठाया जा रहा है। शीर्ष कोर्ट ने उप राज्यपाल को फटकार लगाते हुए कहा कि उप राज्यपाल की तरफ से कूड़े उठाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कोर्ट ने कहा कि एलजी ऑफिस के पास जब कूड़ा निस्तारण करने का अधिकार है तो एलजी दफ्तर हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा है। सुप्रीम कोर्ट ने उप राज्यपाल पर नाराजगी जाहीर करते हुए कहा कि निगम के साथ होने वाली बैठक में आपके अफसर जाते नहीं क्योंकि वह सोचते हैं कि एलजी यहां के अथॉरिटी हैं। तो फिर बैठक में जाने की क्या जरूरत है। अदालत ने केंद्र को भी अड़े हाथों लेते हुए कहा कि हर मामले के प्रभारी वही हैं, सुपरमैन वही हैं। तो फिर कुछ काम क्यों नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर कहा कि हर मामले में मुख्यमंत्री को घसीटने से बेहतर है कि आप इतना बताएं कि कूड़े का ढेर कब हटेगा।
कुतुब मीनार से थोड़ा ही कम है कूड़े का ढेर
गौरतलब है कि पिछले दिनों कूड़े के मुद्दे को लेकर उप राज्यपाल अनिल बैजल ने स्वीकार किया था कि कूड़े का मुद्दा दिल्ली सरकार यानि सीएम के कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। यह उनके अधिकार क्षेत्र मेेेें है। कोर्ट ने कहा कि कूड़े की ढेर कुतुब मीनार की ऊंचाई से सिर्फ ८ मीटर कम है।
शीर्ष कोर्ट ने पहले भी उठाया था सवाल
गुरुवार को कचरा प्रबंधन मामले में उपराज्यपाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया तो कोर्ट ने जमकर फटकार लगा दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एलजी के दफ्तर से पूछा था कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से इस बारे में हलफनामा दायर करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार से कहा था कि वो इस मुद्दे पर अपना रूख स्पष्ठ करें कि उन्होंने ठोस कचरे के निस्तारण के लिए क्या कुछ किया है।
Published on:
12 Jul 2018 03:02 pm
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