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रेरा पर रार: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- RERA की संवैधानिकता पर फैसला करे बॉम्बे हाईकोर्ट

रेरा के लागू होने से बायर्स को मिले हक से डेवलपर्स परेशान होने लगे हैं। कुछ लोगों ने इसे लेकर कोर्ट में चुनौती दी है। 

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Chandra Prakash Chourasia

Sep 05, 2017

RERA

नई दिल्ली। रेरा यानि रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी के लागू होने से बायर्स को मिले हक से डेवलपर्स परेशान होने लगे हैं। कुछ लोगों ने इसे लेकर कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने रेरा को चुनौती देने वाली विभिन्न न्यायालयों में दायर याचिकाओं पर सुनवाई पर रोक लगा दी है।


सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि इसकी संवैधानिकता पर जल्द फैसला करें। कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद कोई सुनवाई करें। केंद्र सरकार ने सभी अर्जियों को ट्रांसफर करने की अर्जी दायर की थी। मकान खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया रेरा कानून लागू होने के बाद देश के हरेक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को अपनी रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी जो रेरा के मुताबिक नियम-कानून बनाएगी। ये कानून पिछले साल पारित किया गया था।


क्या है रेरा
देश भर के लगभग सभी राज्यों में (रेरा)1 अगस्त से प्रभावी हो गया है। अब होम बायर्स रेरा की वेबसाइट पर डेवलपर्स के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। किसी डवलपर के खिलाफ शिकायत होती है तो सुनवाई भी जल्द होगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी होगी।


इस तरह करें शिकायत
रियल इस्टेट प्रॉजेक्ट जिनका रेरा के तहत पंजीकरण हुआ है, उसमें किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए ग्राहक रेरा की वेबसाइट पर शिकायत कर सकते हैं। आप जिस राज्य में है उस राज्य में रेरा की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।


तय समय पर मिलेगा घर
रेरा में किए गए प्रोविजन के तहत डवलपर को बायर्स के साथ एग्रीमेंट करते वक्त प्रोजेक्ट पूरा होने और पजेशन की डेट बतानी होगी। एक्ट के मुताबिक, पजेशन में देरी होने पर डेवलपर्स को लगभग 11 फीसदी की दर से आपके जमा राशि पर ब्याज देना होगा। डवलपर्स को 3 साल की सजा भी हो सकती है।


जल्द होगी सनुवाई
होम बायर्स के शिकायत पर रेग्युलेटरी अथॉरिटी 60 दिन के भीतर अपना फैसला सुना देगी। रेग्युलेटरी अथॉरिटी प्राइवेट के साथ दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी, गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी जैसे घर बनाने वाली सरकारी एजेंसियों की शिकायत भी सुनेंगी।


पैसे का हेरफेर नहीं होगा
समय पर प्रोजेक्ट का पजेशन नहीं मिलने की सबसे बड़ी दिक्कत यह रही कि डवलपर्स एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा देते थे। इसके चलते प्रोजेक्ट समय पर बन नहीं पता था। रेरा में एक प्रोजेक्ट का 70 फीसदी पैसा एक अलग अकाउंट में जमा कराना है।

ये होंगे अब बदलाव
रियल एस्टेट बेल पूरी तरह प्रभावी होने से रियल्टी सेक्टर की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। प्रोजेक्ट्स की प्री-लॉन्चिंग के नाम पर बुकिंग नहीं हो सकेगी। बिना रजिस्टेशन के प्रोजेक्ट्स की एड नहीं दे पाएंगे। वैसे डवलपर्स पर अंकुश लगेगा जो मार्केट से पैसा उगाही करने के लिए प्रोजेक्ट लाते हैं।

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