
नई दिल्ली.
पंजाब के होशियारपुर से आए किसान नरेन्द्र सिंह का ‘किसान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है, जिंदाबाद रहेगा’ कहने से ही किसान आंदोलन की गहराई का पता चल रहा है। आंदोलन को 17 दिन हो चुके हैं, वहीं धुंध और सर्द हवाओं के बावजूद किसानों के जोश में कोई कमी नहीं है। इसे वह अपने हक और भविष्य की लड़ाई बता रहे हैं।
सिंघु बॉर्डर, दिल्ली और हरियाणा को जोड़ता है। हाईवे पर दूर-दूर तक ट्रैक्टर-ट्रॉलियां, डंपर समेत अन्य वाहन व टेंट दिखाई दे रहे हैं। हजारों की सं या में किसानों की रेलमपेल है। जगह-जगह केंद्र सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ नारे भी लिखे दिख रहे हैं। किसानों से बात करते ही उनका गुस्सा दिखने लग जाता है। गुरदासपुर के हरप्रीत सिंह का कहना है कि तेज सर्दी में भी हम बैठे हैं ताकि अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकें। केन्द्र सरकार सिर्फ इगो के चलते कानून वापस नहीं ले रही है।
बाॅर्डर के इधर-उधर
सिंघु बार्डर पर पुलिस के बैरीकेड्स और कंटीले तारों से सामना होता है। दिल्ली की तरफ पुलिस, सीआरपीएफ समेत अन्य जवान हथियारों व सुरक्षा उपकरणों के साथ तैनात है। वहीं बाॅर्डर के दूसरी तरफ किसान डटे हुए हैं।
युवाओं का जोश, बुजुर्गों का होश
आंदोलन में बड़ी भूमिका बुजुर्ग किसानों के साथ युवाओं की भी है। युवाओं के जोश को शांत करने में बुजुर्ग किसान लगे रहते हैं। आंदोलन स्थल पर अलग-अलग स्थानों पर बुजुर्ग किसान युवाओं को समझाइश भी करते रहते हैं कि आंदोलन को शांतिप्रिय बनाए रखना है, किसी भी तरह की हिंसात्मक हरकत नहीं करनी है, पुलिस के जवान भी किसानों के ही बेटे हैं।
आंदोलन के कई रंग
Published on:
13 Dec 2020 02:31 pm
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