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बजट सत्र की उत्पादकता इस बार 100 प्रतिशत से भी अधिक रही, शुरुआती दिनों में हुए थे गतिरोध- ओम बिरला

Highlights. - किसान आंदोलन का असर लोकसभा में बजट सत्र के कामकाज पर नहीं पड़ा - लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- इस सत्र में काम अच्छा हुआ - शुरुआती दिनों में गतिरोध जरूर हुआ, मगर बाद के दिनों में यह सुधर गया  

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Ashutosh Pathak

Feb 15, 2021

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नई दिल्ली।
इस बार बजट में भी किसान आंदोलन की छाया पड़ी। हालांकि, इसका असर कामकाज पर नहीं पड़ा। वैसे, शुरुआत में लग रहा था कि इस सत्र की उत्पादकता दस से पंद्रह प्रतिशत ही रह जाएगी, लेकिन बाद के दिनों में जिस तरह काम हुआ, वह न सिर्फ पहले काम पर पड़े असर की भरपाई करता गया बल्कि, उत्पादकता का आंकड़ा सोच से भी कहीं आगे पहुंच गया।

सदन सुचारू रूप से चले इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने काफी प्रयास भी किए और तभी इसमें सदस्यों का सहयोग मिलता गया। शायद इसी का नतीजा रहा कि इस बजट सत्र की उत्पादकता सौ प्रतिशत से भी अधिक रही। कई सांसदों के असंयमित भाषा का इस्तेमाल करने के सवाल पर बिरला ने कहा कि संसद में सब चर्चा करें, लेकिन संसद की गरिमा के अनुसार ही करना चाहिए। हम कोशिश करेंगे कि बहस का स्तर उच्च कोटि का बना रहे। कभी-कभी वाद विवाद तीखे भी होते हैं। कोशिश रहती है कि संवाद मर्यादित रहें। इसके लिए सभी दलों के नेताओं से समय-समय पर बात की जाती रहती है।

शुरुआती दिनों में रहा गतिरोध
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार, पहले कुछ दिन गतिरोध जरूर रहा, मगर बाद के दिनों में सदन अच्छी तरह से चला। लोकसभा सूत्रों ने बताया कि हंगामे के कारण 2 से 5 फरवरी के बीच सदन की औसत उपयोगिता लगभग 10 फीसदी रही, जबकि 8 से 11 फरवरी के बीच उपयोगिता 164 फीसदी पर पहुंची। जबकि इसके बाद औसत उपयोगिता 100 फीसदी के आसपास रही।

सभी दलों के नेताओं और सदस्यों के सहयोग
किसान आंदोलन को लेकर लोकसभा में लगातार व्यवधान के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों के चलते बजट सत्र की उत्पादकता 100 फीसदी पार रही है। सत्र के पहले चरण के समापन पर शनिवार को बिरला ने मीडिया से कहा कि सभी दलों के नेताओं और सदस्यों के सहयोग से इस चरण का सत्र सुचारू रूप से चला। पहले कुछ दिन गतिरोध जरूर रहा, लेकिन बाद के दिनों में सदन अच्छी तरह से चला। जितने समय सदन में गतिरोध रहा, उससे अधिक समय सदन को अतिरि त चलाने की कोशिश की गई।

अभिभाषण और बजट पर ज्यादा चर्चा
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर निर्धारित 10 घंटे की जगह 16.39 घंटे चर्चा हुई। इसमें 130 सदस्यों ने बात रखी। बजट पर बहस के लिए 10 घंटे निर्धारित किए गए थे, लेकिन सदन में इसकी जगह 14.40 घंटे चर्चा हुई और 117 सदस्यों ने बात रखी। उन्होंने देर रात तक सदन चलाने के लिए सभी सांसदों के साथ लोकसभा के स्टाफ का आभार भी जताया।