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जिन प्रावधानों पर किसानों को आपत्ति, उस पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है- कृषि मंत्री

Highlightts. - कृषि मंत्री ने कहा- किसानों की आपत्ति पर गंभीरता से करेंगे विचार- तोमर बोले- सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें किसान संगठन- किसानों के साथ बातचीत के लिए सरकार हर समय तैयार  

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Ashutosh Pathak

Dec 11, 2020

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नई दिल्ली.

सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। गुरुवार को कृषि मंत्री ने प्रेस वार्ता में यह जरूर कहा कि जिन प्रावधानों पर किसानों को आपत्ति है, उस पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है।

तोमर ने एक बार फिर कहा कि किसानों के साथ बातचीत के लिए सरकार हर समय तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि हम किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए उनके सुझावों की प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन वे कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं। तोमर ने कहा कि किसानों के जो भी मुद्दे हैं उनके बारे में कोई भी प्रावधान करने पर खुले मन से विचार करने के लिये तैयार हैं, ताकि किसानों की शंका को दूर किया जा सके। किसान संगठनों को सरकार के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए, हम आगे और बातचीत के लिए हर समय तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम सर्दी के इस मौसम और कोविड- 19 महामारी के बीच किसानों के प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ चिंताएं थीं कि किसानों को अपनी उपज को निजी बाजार में बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह पूरी तरह से गलत है, कानून में कोई प्रावधान नहीं है जो किसी भी किसान को मजबूर करे।

किसानों की चिंताओं पर कृषि मंत्री के जवाब

1. कानूनों की वैधता पर

कृषि मंत्री ने कहा- किसानों का मानना है कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र कानून नहीं बना सकता। हमने उन्हें यह बताया है कि ट्रेड के लिए केंद्र को कानून बनाने का अधिकार है और इन कानूनों को हमने ट्रेड तक ही सीमित रखा है।

2. एमएसपी पर

कृषि मंत्री ने कहा- किसानों के मन में आशंका थी कि कानूनों के बाद एमएसपी प्रभावित होगी। मैं और प्रधानमंत्रीजी खुद ये कह चुके हैं कि एमएसपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा और ये पहले की तरह चलती रहेगी। इस पर हम लिखित आश्वासन राज्य सरकार, किसान और यूनियनों को दे सकते हैं।

3. जमीनों पर कब्जे की आशंका पर

उन्होंने कहा कि किसानों को आशंका है कि उनकी भूमि पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। हमने इसका प्रबंध पहले से ही कानून में कर रखा है। जो भी एग्रीमेंट होगा, वो प्रोसेसर और किसान की फसल के बीच होगा। भूमि से संबंधित लीज, पट्टा या करार नहीं हो सकता।

4. पैन कार्ड से खरीदी पर

तोमर ने कहा- किसानों को लगता है कि पैन कार्ड किसी के भी पास होगा और वो खरीदकर भाग जाएगा तो वे क्या करेंगे? हमारा मकसद था कि पैन होने के जरिए व्यापारी और किसान लाइसेंसी राज से बच जाएंगे। हम इस पर भी विचार को तैयार थे कि राज्य सरकारें ही इस तरह के पंजीयन के लिए अधिकृत होंगी और अपने हालात के हिसाब से नियम बना सकेंगी।

5. विवादों निपटारे के लिए एसडीएम पर

कृषि मंत्री ने बताया कि किसान विवाद निपटारे के लिए न्यायालय की व्यवस्था चाहते हैं। हमने इसके लिए एसडीएम को अधिकृत किया था कि वो जांच करेगा और इसकी अपील कलक्टर के पास होगी। हमारा मानना था कि किसानों के सबसे करीब का अधिकारी एसडीएम ही होता है। हालांकि, हमने किसानों को न्यायालय का विकल्प देने की बात भी कही। वसूली का निर्देश एसडीएम के द्वारा किसान के विरुद्ध नहीं होगा। भूमि सुरक्षित रहे, इस दिशा में सरकार ने विमर्श किया।

6. मंडी टैक्स को लेकर पर

उन्होंने कहा कि किसानों को नए ट्रेड एक्ट के तहत ये आशंका है कि मंडियां दिक्कत में फंस जाएंगी। हमने उनसे इस आशंका पर विचार करने की बात कही। हमने कहा कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सकेगी।

7. लोन चुकाने पर

तोमर बोले- किसानों को ये आशंका थी कि प्रोसेसर अगर फसल के लिए खेती की जमीन पर कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करता है तो उस पर लिया लोन किसान को चुकाना होगा। हमने साफ किया है कि अगर ऐसा कुछ प्रोसेसर करता है तो उसे करार के तहत ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर ले जाना होगा। अगर वो नहीं ले जाता तो भू-स्वामी ही उसका मालिक होगा। यह भी कि ऐसी किसी चीज पर लोन लेने की कोशिश प्रोसेसर नहीं करेगा। भूमि की कुर्की और नीलामी पर हमने उन्हें स्पष्टीकरण देने की बात कही थी।