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चीन की चाल: भारत से लगती सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र पर बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा बांध

Highlights. - बांध बनने से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों व बांग्लादेश में सूखे जैसी स्थिति हो सकती है - बांध इतना विशाल है कि चीन के ही दुनिया के सबसे बड़े बांध थ्री जॉर्ज की तुलना में 3 गुना ज्यादा पनबिजली पैदा हो सकेगी - ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश को ब्रह्मपुत्र का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार मिला हुआ है

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Ashutosh Pathak

Dec 01, 2020

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ajmer

नई दिल्ली.

पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद के बीच चीन, तिब्बत से निकलती यारलुंग जांगबो (भारत में ब्रह्मपुत्र) नदी की निचली धारा पर भारत से लगती सीमा के करीब बांध बनाएगा। इससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों व बांग्लादेश में सूखे जैसी स्थिति हो सकती है।

यह बांध इतना विशाल है कि चीन के ही दुनिया के सबसे बड़े बांध थ्री जॉर्ज की तुलना में 3 गुना ज्यादा पनबिजली पैदा हो सकेगी। अगले साल से लागू होने वाली चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना में इस प्रस्ताव पर विचार हो चुका है। चीन की आधिकारिक मीडिया ने बांध बनाने का जिम्मा प्राप्त कर चुकी चीनी कंपनी के प्रमुख के हवाले से यह जानकारी दी है।

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के अध्यक्ष यांग जियोंग ने कहा कि चीन यारलुंग जांगबो नदी के निचले हिस्से में जलविद्युत उपयोग प्रोजेक्ट शुरू करेगा।

भारत-बांग्लादेश पर असर
चीनी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बांध का निचले इलाकों में रहने वाले भारत और बांग्लादेश के लोगों पर काफी असर पड़ेगा। ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। ऐसे में बांध निर्माण के प्रस्ताव से दोनों देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। चीन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि वह उनके हितों को भी ध्यान में रखेगा। हालांकि चीन के पूर्व के व्यवहार को देख दोनों ही देश उसपर विश्वास नहीं कर रहे हैं।

भारत को पानी के इस्तेमाल का हक

ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश को ब्रह्मपुत्र का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार मिला हुआ है। भारत ने चीन के अधिकारियों से समझौते का पालन करने को कहा है। भारत ने यह भी कहा कि चीन ध्यान रखे कि नदी के ऊपरी हिस्से में किसी भी गतिविधि से निचले हिस्सों में बसे देशों को नुकसान न हो।

नदियों पर लगी चीन की ‘नजर’

लोवी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने तिब्बत के जल पर अपना दावा ठोका है, जिससे वह दक्षिण एशिया में बहने वाली सात नदियों सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावडी, सलवीन, यांगट्जी और मेकांग के पानी को नियंत्रित कर रहा है। ये पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, यांमार, लाओस और वियतनाम से होकर गुजरती हैं। इनमें से 48 फीसदी पानी भारत से होकर गुजरता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय नदियों के मामले में चीन को भारत पर रणनीतिक बढ़त हासिल है।