
UIDAI अध्यक्ष का बड़ा बयान, आधार की वजह से सरकार के बचे 90 हजार करोड़ रूपए
नई दिल्ली: भारत सरकार ने आधार से जुड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली के जरिए अबतक 90,000 करोड़ रुपए बचा लिए हैं। यूआईडीएआई के अध्यक्ष जे. सत्यनारायण ने 'डिजिटल पहचान' पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह कहा। उन्होंने बताया कि औसतन लगभग तीन करोड़ लोग आधार का उपयोग प्रतिदिन करते हैं। उन्होंने कहा इसका उपयोग मुख्य रूप से राशन, पेंशन, ग्रामीण रोजगार, छात्रवृत्ति में हुआ है।
'अदृश्य शासन' की परिकल्पना की ओर बढ़ रहा देश
सत्यनारायण ने अपने संबोधन में कहा कि इसी साल 31 मार्च तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विभाग, खाद्य एवं लोक वितरण, ग्रामीण विकास और अन्य विभागों की कई जरूरी योजनाओं के लिए आधार नंबर से जुड़ी डीबीटी व्ययवस्था अपना कर 90,000 करोड़ रुपयों से ज्यादा के राजस्व की बचत या आय हुई है। उन्होंने ने जोर देते हुए कहा कि शासन तंत्र प्रौद्योगिकी के साथ लगातार प्रगति कर रहा है और इससे देश 'अदृश्य शासन' की परिकल्पना की ओर बढ़ रहा है।
आधार में अभी और सुधार की जरूरत
यूआईडीएआई के अध्यक्ष उन्होंने कुछ क्षेत्रों में शोध कराने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अधिक कुशल बायोमेट्रिक तंत्र, आधार ईको तंत्र, नामांकन प्रक्रिया में सुधार, अपडेशन और प्रमाणीकरण, कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में कार्यान्वयन और धोखाधड़ी का पता लगाने और उसकी रोकथाम के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निग का उपयोग करने के लिए शोध करने की जरूरत होगी।
आईएसबी में 'आधार' पर विशेष जोर
बुधवार को शुरू हुए तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) ने किया है। सम्मेलन में 'आधार' पर विशेष ध्यान दिया गया है। सम्मेलन का उद्देश्य आईएसबी में 'डिजिटल आइडेंटिटी रिसर्च इनीशिएटिव' (डीरी) द्वारा किए गए शोध कार्यो का प्रदर्शन करना है। डीरी का शोध मुख्य रूप से आधार को ध्यान में रखकर तथा पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ और नुकसान का पता लगाने पर निर्भर है। डीरी के कार्यकारी अधिकारी अश्विनी छात्रे ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय तैयार किया। इस सम्मेलन में 'डिजिटल पहचान' के भारत और विदेश के लगभग 150 शोधकर्ता भाग ले रहे हैं।
Published on:
11 Jul 2018 09:45 pm
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