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उम्मीद 2021 – तकनीक से खेती, संकल्प से सुधरेगा पर्यावरण…

locationनई दिल्लीPublished: Dec 28, 2020 09:53:55 am

– हमें चाहिए साफ हवा, उन्नत खेती, खुशहाल किसान ।
– 532 अरब टन बर्फ पिघली ग्रीनलैंड में पिछले वर्ष, ६ गुना तेजी से पिघल रहा अंटार्कटिका ।
– 05 अरब परिंदे कम हो गए उत्तर अमरीका में कीटनाशकों के प्रयोग से।
– 14 फीसदी से अधिक का योगदान है कृषि का भारत की जीडीपी में ।
– 8.30 अरब टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ दुनिया में 1950 से अब तक। जबकि भारत में हर दिन 26 हजार टन प्लास्टिक पैदा होता है।

उम्मीद 2021 - तकनीक से खेती, संकल्प से सुधरेगा पर्यावरण...

उम्मीद 2021 – तकनीक से खेती, संकल्प से सुधरेगा पर्यावरण…

कुदरत ने इंसान को भरपूर संसाधन दिए, लेकिन उसनेे इनका अंधाधुंध दोहन किया। नई सदी की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा यानी जलवायु परिवर्तन इसी का नतीजा हैै। इंसानी लालसा ने वनों पर आरी चलाई, मिट्टी को जहरीला किया, प्लास्टिक- ई वेस्ट जैसे विनाशक तत्वों को बढ़ावा दिया और जीवनदायी ‘अमृत’ यानी पानी को व्यर्थ बहाया। स्वच्छ पर्यावरण सांसों को सहेजता है, तो खेती हमारा पेट पालती है। आने वाले दशक में प्रौद्योगिक उन्नति और कृषि पद्धति में नवाचार से उपज बढऩे के साथ ही किसान खुशहाल होंगे। हां, पर्यावरण की रक्षा जरूर हमारे संकल्प और इरादों पर निर्भर रहेगी।

जलवायु परिवर्तन इस वर्ष विश्व करेगा मंथन –
अगले वर्ष नवंबर में ब्रिटेन में होने वाली विश्व नेताओं की कॉन्फ्रेंस में जलवायु के खतरों और पेरिस जलवायु समझौते के मुताबिक अर्जित लक्ष्यों की समीक्षा होगी। समझौते में अमरीका के फिर शामिल होने की उम्म्मीद है।

वन-जीव संरक्षण पेड़ों से ही बचेगा पर्यावरण –
हर वर्ष दुनिया में 15.3 अरब पेड़ काटे जा रहे हैं। इससे प्रकृति और वन्यजीवन को खतरा बढ़ गया। लैटिन अमरीकी देश कोस्टारिका, अफ्रीकी देश इथोपिया व यूरोप के स्कॉटलैंड में लाखों पेड़ लगाकर जलवायु खतरों को कम किया।

प्राकृतिक संसाधन लेना नहीं, लौटाना भी है –
धरती ने जो संसाधन हमें पूरे वर्ष के लिए दिए थे, वो हमने पिछले वर्ष 209 दिन में ही खर्च कर दिए। इसे ओवरशूट डे कहा जाता है। यानी संसाधनों की बढ़ती खपत के हिसाब से हमारे लिए पृथ्वी छोटी पड़ रही है।

मशीनीकरण छोटे किसानों को फायदा-
बुवाई से लेकर फसल कटाई तक कुशल कृषि और मशीनीकरण छोटे किसानों के लिए सहायक होंगे। जैसे ट्रैक्टर, टिलर और हार्वेस्टर आदि आधुनिक उपकरण। कपास, फल व सब्जियों के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली।

जैव तकनीकी सुधरेगी खेती की सेहत –
ऐ से पौधे उत्पादित किए जा सकेंगे जो अधिक पोषक हों और खेतों की सेहत भी सुधारें। इसके तहत जीन एडिटिंग और सूक्ष्म जीव तकनीक का इस्तेमाल कर विभिन्न किस्मों की फसल तैयार की जा सकती है, जो मृदा स्वास्थ्य को भी ठीक रखती है।

डिजिटल वास्तु छोटी जोत का एकीकरण –

आने वाला समय कृषि तंत्र के लिए डिजिटल वास्तु का होगा। इसके तहत छोटे किसानों को आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक अथवा वर्चुअल तौर पर छोटे भू-भागों का एकीकरण किया जाएगा।

बढ़ेगा भरोसा किसान-उपभोक्ता समन्वय –
किसान देशी एवं अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण खाद्य उपलब्ध करवाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। तकनीक के दौर में खेतों से डाइनिंग टेबल तक कृषि उत्पाद की संपूर्ण जानकारी उपभोक्ता को उपलब्ध होगी। उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा। निर्यात संभावनाओं ने खुदरा व्यापरियों के लिए अवसर बढ़ाए हैं।

कृषि श्रम युवा किसानों को मदद –
पुरुषों के शहर की ओर रूझान के चलते कृषि में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। युवा किसानों को कृषि प्रशिक्षण के रूप में डिजिटलीकरण से सहायता मिलेगी। आज का किसान कल का टैकप्रिन्योर हो सकता है। कृषि श्रमिक वैल्यू चेन में उच्च स्तरीय जॉब की ओर बढ़ सकते हैं। वह फार्म रोबोट संचालक से लेकर वेल्यू चेन डेटा संग्राहक भी बन सकते हैं।

– 10 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा तैर रहा है समुद्रों में, जो 2040 तक तीन गुना होने का अनुमान है।
– 153 देशों के 11 हजार वैज्ञानिकों ने पहली बार एक साथ जलवायु के खतरों से आगाह किया ।
– 02 डिग्री से कम तापमान वृद्धि रोकने का लक्ष्य रखा गया है पेरिस समझौते में ।
– 14.6 फीसदी अमरीका और 6.8 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करता है भारत ।

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