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समाजसेवी हंसा मेहता के योगदान को यूएन ने याद किया, गुटेरस ने की तारीफ

लंदन से उच्‍च शिक्षा हासिल करने वाली हंसा मेहता समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् के रूप में भारत में काफी लोकप्रिय रहीं।

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Dec 09, 2018
समाजसेवी हंसा मेहता के योगदान को यूएन ने याद किया, गुटेरस ने की तारीफ

नई दिल्‍ली। वैश्विक संस्‍था यूएन ने अंतरराष्‍ट्रीय मानव अधिकारों का दस्‍तावेज तैयार करने वाली और समाजसेवी हंसा मेहता को उनके योगदान के लिए याद किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने भारतीय समाज सुधारक एवं शिक्षाविद् हंसा जीवराज मेहता के मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा वाले ऐतिहासिक दस्तावेज निर्माण में अहम भूमिका निभाने के लिए उनकी सराहना की है। ये बात उन्‍होंने यूएन में आयोजित मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक प्रदर्शनी से संबंधित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

नई दिशा देने वाली महिला
गुटेरस ने कहा कि इस दस्तावेज को आकार देने में महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर भारत की हंसा मेहता, उनके बिना हम लोग केवल पुरुषों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पर बात कर रहे होते, न कि मानवाधिकारों पर। इस प्रदर्शनी में मेहता सहित दूसरी प्रेरणादायी महिलाओं के योगदान को दर्शाया गया है। हंसा मेहता भारत की महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और उत्कृष्ट लेखिका थीं। उन्‍होंने कहा कि हंसा जैसी महिलाएं हर दौर में समाज को नई दिशा देने वाली साबित होती हैं।

पढ़ाई के लिए लंदन तक की यात्रा तय की
आपको बता दें कि हंसा मेहता जन्म तीन जुलाई, 1897 को हुई थी। वह एक समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् के रूप में भारत में काफी लोकप्रिय रहीं। इनके पिता मनुभाई मेहता बड़ौदा और बीकानेर रियासतों के दीवान थे। हंसा मेहता का विवाह देश के प्रमुख चिकित्सकों में से एक तथा गांधी जी के निकट सहयोगी जीवराज मेहता जी के साथ हुआ था। हंसा की शुरुआती शिक्षा बड़ौदा में हुई। 1919 में वे पत्रकारिता और समाजशास्त्र की उच्च शिक्षा के लिए इंगलैंड चली गईं। वहीं पर हंसा सरोजनी नायडू और राजकुमारी अमृत कौर से हुआ। बाद में जाकर हंसा ने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया।

Published on:
09 Dec 2018 11:58 am
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