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WHO ने कोरोना के सिर्फ एक वेरिएंट को बताया चिंता का कारण, भारत की आपत्ति के बाद आया बयान

Published: Jun 02, 2021 10:33:04 am

Submitted by:

Mohit Saxena

डब्ल्यूएचओ के अनुसार बड़े स्तर पर पब्लिक हेल्थ को लेकर B.1.617.2 वेरिएंट खतरा बना हुआ है, जबकि दूसरे स्ट्रेन से संक्रमण का प्रसार कम है।

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नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में खतरनाक वेरिएंट ने सबसे अधिक तबाही मचाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि देश में सबसे पहले कोरोना वेरिएंट, जिसे डेल्ट वेरिएंट के नाम से पहचाना जाता है, उसका बस एक स्ट्रेन ही चिंता का विषय है। वहीं बाकी अन्य दो स्ट्रेन से खतरा नहीं है।
कोरोना के इस वेरिएंट को B.1.617 के नाम से जाना जाता है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर में इस वैरिएंट के कारण सबसे अधिक तबाही देखने को मिली। यह एक ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट है, क्योंकि यह तीन प्रजातियों में है।
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स्ट्रेन को चिंता वाला वेरिएंट बताया था

पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इस वेरिएंट के पूरे स्ट्रेन को चिंता वाला वेरिएंट बताया था। इसके बाद से भारत सरकार ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। मगर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि इसका बस एक स्ट्रेन ही चिंता का विषय है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार बड़े स्तर पर पब्लिक हेल्थ को लेकर B.1.617.2 वेरिएंट खतरा बना हुआ है, जबकि दूसरे स्ट्रेन से संक्रमण का प्रसार कम है।
कोरोना वायरस के भारत में पहली बार पाए गए स्वरूप बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को अब ‘कप्पा’ तथा ‘डेल्टा’ से नाम से पहचाना जाएगा। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों की नामावली की नई व्यवस्था की घोषणा करी है। इसके तहत वायरस के कई स्वरूपों की पहचान यूनानी भाषा के अक्षरों में होगी।
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भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी

दरअसल नोवेल कोरोना वायरस के बी.1.617 स्वरूप को ‘भारतीय स्वरूप’ बताने को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उसी के बाद डब्ल्यूएचओ ने यह कदम उठाया है। हालांकि भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने दस्तावेज में इस स्वरूप के लिए ‘भारतीय’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है।
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