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मारपीट के दर्ज मामले में घायल गर्भवती महिला की पांच दिन बाद उपचार के दौरान मौत होने के बाद लोग आक्रोशित हो गए। गर्भवती का शव लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच गए और शव रखकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई में ढिलाई बरती जा रही है। एएसपी योगेन्द्र फौजदार की समझाइश पर करीब 15 मिनट बाद पीडि़त मान गए और शव लेकर चले गए।
यह थी घटना
थाने में आठ मार्च को वार्ड दो निवासी 35 वर्षीय कैलाश जाट ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया कि उसकी गर्भवती पत्नी मंजू के साथ रंजिशवश छह मार्च को उसकी चाची तारामणि, चाचा खींवाराम, भतीजा तेजपाल, मां भंवरीदेवी ने लाठियों व थाम-मुक्को से मारपीट की। धटना के समय कैलाश घर पर नहीं था। घटना के बाद पीडि़ता मंजू को सुजानगढ़, सीकर व जयपुर अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन पेट में ही बच्चा मर गया इससे 12 मार्च को मंजू ने भी दम तोड़ दिया।
एफआईआर के चार दिन बाद भी पुलिस ने मारपीट के दर्ज मामले में कार्रवाई नहीं की। इससे नाराज परिवारजनों ने जयपुर से आए शव को एएसपी कार्यालय के सामने रखकर करीब 50-60 लोगो ने विरोध किया। इसके बाद एएसपी ने 3 दिन बाद ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिस पर लोग मान गए और शव लेकर चले गए।
Published on:
14 Mar 2017 10:15 pm
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