आपस में बैठकर, सहमति बनाकर सिर्फ मनुष्य ही काम नहीं करते, बल्कि पक्षी भी ऐसा ही करते हैं और इसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से लिए गए निर्णय का पालन भी करते हैं, वो भी मनुष्यों से बेहतर। गौर करने की बात ये है कि पक्षियों को भी शोर से दिक्कत होती है और वे शोर में नहीं सुन पाते हैं एक-दूसरे की आवाज। ध्वनि प्रदूषण ही नहीं तेज रोशनी से भी पक्षियों के संवाद में पैदा होती है बाधा।
लोकतांत्रिक प्रकियाओं के तहत शोर मचाकर निर्णय पर सहमति इंसान ही नहीं पक्षी भी देते हैं। उनका तेज आवाज में शोर मचाना उनका फैसला लेने का निर्णय होता है। इसके के बाद भी पक्षी अपने बसेरे की ओर जाने या बसेरा छोड़ने का फैसला करते हैं। यह खुलासा करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शोध में किया गया। एक्सेटर विश्वविद्यालय में संज्ञानात्मक विकास के प्रोफेसर एलेक्स थॉर्नटन ने बताया कि कई बार देखा जाता है कि पक्षी एक साथ आसमान की ओर उड़ जाते हैं और पूरे बादल को ढक लेते हैं। उन्होंने कहा कि पक्षी जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना चाहते हैं तो वे शोर मचाते हैं। यह शोर एक निश्चित स्तर पर पहुंच जाता है। इसका संकेत होता है कि वे अब जाने की तैयारी हैं। इसके बाद पक्षी उड़ जाते हैं।
सबसे पहले एक पक्षी करता है कॉल
थॉर्नटन ने बताया कि निर्णय लेने के दौरान एक पक्षी सबसे पहले कॉल करता है। इसका संकेत होता है कि वह जगह को छोड़ना चाहता है। इसके बाद पक्षियों का समूह इस पर सामूहिक रूप से निर्णय लेता है। सामूहिक निर्णय दो तरीके से लिया जाता है। पक्षी या तो शोर करते हैं या फिर अर्धचंद्रकार आकृति बनाते हैं। इसके बाद पक्षी जब आम सहमति पर पहुंच जाते हैं तो पांच सेकंड के भीतर हजारों पक्षी अपनी जगह छोड़ देते हैं। थॉर्नटन बताते हैं कि अमूमन शिकारी से बचने के लिए भी पक्षी पेड़ों को एक साथ छोड़ देते हैं।
ध्वनि प्रदूषण और तेज रोशनी पक्षियों की संवाद प्रकिया में पैदा करते हैं बाधा
शोध में पाया गया कि ध्वनि प्रदूषण और तेज रोशनी पक्षियों की संवाद प्रकिया में बाधा पैदा कर रहे हैं। एक शहर या व्यस्त सड़क पर पक्षी दूसरे को नहीं सुन सकते हैं। ऐसी स्थिति में वे एक साथ जगह छोड़ऩे पर आम सहमति नहीं बना पाते। इससे उनकी आबादी पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
भोजन खोजते और खाते भी करते हैं चर्चा
शोधार्थियों ने बताया कि पक्षी भोजन तलाशते समय व खाते समय में भी आपस में चर्चा करते हैं। पक्षी एक-दूसरे को बताते हैं कि उन्होंने भर पेट खाना खा लिया है।
ऐसे किया गया प्रयोग
वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए कौओं पर प्रयोग किया। ऐसे पेड़ों पर रिकॉर्डर लगाए, जहां कौए रहते थे। छात्र एलेक्स डिब्ना के नेतृत्व में शोधार्थियों ने ध्वनियों का विश्लेषण किया तो पाया कि औसतन 6 मिनट पहले एक पक्षी की आवाज के बाद सभी पक्षियों ने पेड़ों को छोड़ दिया।