
पेरिस। जी-7 दुनिया के सात विकसित और अमीर देशों का क्लब है। यही देश दुनिया की अर्थव्यवस्था की चाल तय करते हैं। इन देशों का दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी पर कब्जा है। मगर इस बार भारत को इस सम्मेलन में क्यों आमंत्रित किया गया है, जबकि वह इस वीआईपी क्लब का सदस्य नहीं है। इसका कारण है कि वैश्विक पटल पर भारत की ताकत बढ़ती जा रही है। ऐसे में भारत को इस सम्मेलन से दूर नहीं रखा जा सकता है।
जी-7 में शामिल देश हैं कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका। 1977 से इस सम्मेलन में यूरोपियन यूनियन भी शामिल होता रहा है।
खूबसूरत शहर है बिआरिट्ज
इस बार फ्रांस के समुद्री तट पर स्थित खूबसूरत शहर बिआरिट्ज में जी-7 सम्मेलन हो रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस बार के सम्मेलन में सदस्य देशों के अलावा उन देशों को खास आमंत्रित किया है जो दुनिया राजनीति में गहरी पैंठ रखते हैं। इस लिस्ट में भारत का नाम सबसे पहले है। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका को भी इस बार विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। अफ्रीकी देश सेनेगल और रवांडा भी इस बार आमंत्रित हैं।
भारत को खास बुलावा
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जी-7 में भारत को मिला निमंत्रण दर्शाता है कि दुनिया की
एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में भारत तेजी से उभर रहा है। यह फ्रांस के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री के साथ गहरे संबंध स्थापित करता है। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री वातावरण, जलवायु, समुद्री सुरक्षा और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर सेशन को संबोधित करेंगे।
बता दें कि इस वक्त फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जी-7 के अध्यक्ष हैं। अध्यक्ष होने के नाते उन्हें गैर सदस्य देशों को इस सम्मेलन में आमंत्रित करने का अधिकार है। जी-7 की अध्यक्षता सदस्य देश करते हैं। हर सदस्य देश बारी-बारी से जी-7 की अध्यक्षता करता है।
कश्मीर पर हो सकती है चर्चा
भारत के लिए इस बार का जी-7 बैठक इसलिए अहम है कि इस बार पीएम मोदी कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप से बात कर सकते हैं। बीते दिनों अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि वे कश्मीर के मुद्दे पर पीएम से चर्चा करना चाहेंगे। हालांकि भारत ने दुनिया को दो टूक कह दिया है कि कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है।
Updated on:
27 Aug 2019 08:46 am
Published on:
26 Aug 2019 08:35 am
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