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रेलवे में सामने आया बड़ा भ्रष्टाचार, सच्चाई जानकर आपका भी खौल जाएगा खून

रेलवे का कारनामाः कच्ची ईट से बनाई जा रही गुमटी की इमारत

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रामपुर. देश भर में चाहे कन्ट्रेक्शन के दौरान हादसे हों या फिर इमारत बनने के बाद इमारत गिरकरने का मामला हो , सरकार हादसों के नाम पर मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजा देकर अपना और अपनी सरकार की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर लिया जाता है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि हादसे न हों, इसके लिए न कतो मंत्री और न ही सरकारें कभी भी सक्रिय दिखाई देती है। अगर रहती तो हादसों में यकीनन कमी आती । आज हम आपको एक ऐसी घटना से रूबरू कराएंगे, जिसे सुनकर और देखकर आपको ग़ुस्सा आ जाए कि सत्ता में बैठे मंत्री और सरकार के सरकारी तंत्र किस तरह लोगों की सुरक्षा की परवाह किए बिना भ्रष्टाचार का खेल खेलती है।

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दरअसल, उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में में कई मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग है जिन पर एक के बाद एक हादसे होते रहे हैं। आगे से हादसों में बढ़ोत्तरी न हो इसके लिए भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने इन मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर गुमटी बनाए जाने के लिए काम शुरू करवाया है। लेकिन इन गुमटियों के निर्माण में कच्ची बुल्कुल ही घटिया क्वॉलिटी की ईट इस्तेमाल की जा रही है, जिसे देहाती भाषा में पीली ईट कहा जाता हैं। उसी ईंट से रेलवे क्रांसिंग पर गुमटी की इमारत की नींव रखी जा रही है।इसको लेकर इलाके के लोग भी हैरत में है कि सरकारी काम में किस तरह पूरी की पूरी इमारत की नींव कच्ची और घटिया ईट से रखी जा रही है। लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि रेलवे ट्रैक के किनारे ऐसी घटिया ईंट से भवन निर्माण कराया जा रहा है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा कन्ट्रेक्शन के समय या फिर बाद में हो सकता है।

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रामपुर जंक्शन से 6 किलोमीटर दूर काठगोदाम ट्रेक केसी 8 जोकि कोतवाली सिविल लाइन इलाके में पड़ता है। वहां पर यह कन्ट्रेक्शन का काम चल रहा है। उसे देखने समझने के लिए अभी तक न तो कोई रेलवे अधिकारी यहां आया कि सरकारी बिल्डिंग के निर्माण में कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही है। वहीं, स्थानिय रेलवे का सिविल प्रशासान यह कहकर अपनी जुम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है कि यह बरेली के इज्जतनगर रेलवे में आता है। उनका तर्क है कि हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती, लिहाजा हम इस पर कुछ नही कर सकते ।

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गेट संख्या सी 8 जोकि रामपुर से काठगोदाम ट्रेक को सुरक्षित रखेगा वहां पर बूम लगाये जाने की योजना है। इसी के लिए यहां बिल्डिंग तैयार की जा रही है । लेकिन इस नींव में बेहद घटिया ईटों का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इस मामले में ध्यान देने वाली बात ये है कि रेलवे के जो उपकरण आदि होतें हैं वह काफी भारी वजन के होते हैं। इस इमारात में लगाते वक़्त भी कोई हादसा हो सकता है। क्योंकि जब इमारत की नींव ही कमजोर होगी तो बिल्डिंग भी उतनी कमजोर होगी। लेकिन चंद पैसा कमाने के चक्कर मे इन भवनों के निर्माण के लिए जिम्मेदार अफसर और ठेकेदार कोई असर पड़ता दिख नहीं रहा है। ऐसा लगता है कि मानो इनको अब किसी से डर नहीं है। इस बारे में जब इज्जतनगर के डीआरएम से फोन पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मामला समझने के बाद फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके बाद दोबारा फोन नहीम उठाया।


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