१: जिस जगह वीडियो शूट हुआ है उसमे लड़की शांत पीठ किये हुए बैठी है और घर देखकर ही लग रहा है कि किसी गाँव या कसबे का है. जहाँ साधारण सुविधाएं नहीं मिलतीं, वहीं किसी का अपने घर में सीसीटीवी लगवाना किसी मजाक से कम नहीं. अरे भाई जब लाईट ही नहीं आती तो अभी गांवों के घरों में सीसीटीवी बहुत दूर की बात है.
२:लड़की अचानक देखती है और चारपाई पर लेट जाती है. उसके बाद कुछ महिलायें उसके पास आ रही हैं, यानि एक फ़िल्मी सीन की तरह सबकुछ स्क्रिप्टेड है.
३: जो सीसीटीवी बुलेट नम्बर चल रहे हैं वो भी वीडियो से मैच नहीं कर रहे हैं. दोनों की लाइट अलग अलग है. जबकि एक ही कैमरे से एक ही रौशनी में ऐसा नहीं होता.
४: जिसने भी ये वीडियो बनाया वो जानता था कि इस तरह की घटनाएं पाश इलाके में नहीं हुई, इसलिए उसने जानबूझकर गाँव की पृष्ठभूमि वाला मकान चुना.
फ़िलहाल पत्रिका की पड़ताल में ये वीडियो पूरी तरह फर्जी है. लोगों को डराने की नियत से ही इसे बनाया गया और लोग बिना जानकारी के ही धडाधड शेयर किये जा रहे हैं. इसलिए आप भी किसी भी वीडियो को शेयर करने से पहले पड़ताल कर लें.