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मोरेना

स्कूल में चार रसोइया और एक भृत्य फिर भी मासूम बच्चों से साफ कराए जा रहे बर्तन

– मामला शासकीय मिडिल स्कूल चंबल कॉलोनी का
– बच्चे बोले, हमतो रोजाना खुद ही अपनी थाली साफ करते हैं

मोरेनाNov 06, 2024 / 09:30 pm

Ashok Sharma

मुरैना. सरकारी स्कूलों में एमडीएम की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है। रसोइयों को इसिलए निुयक्त किया गया है कि वह खाना बनाने, परोसने के साथ बर्तन भी साफ करेंगी लेकिन मुरैना में ऐसा नहीं हो रहा। शहर के चंबल कॉलोनी में स्थित शासकीय मिडिल स्कूल में मासूम बच्चों को ही बर्तन साफ करने पड़ रहे हैं।
शासकीय मिडिल स्कूल चंंबल कॉलोनी में 350 बच्चे और 12 स्टाफ के बीच चार रसोइयां व एक भृत्य नियुक्त है, उनको बरावर तनख्वाह व मानदेय मिल रहा है। उसके बाद भी मासूम बच्चों को मध्यान्ह भोजन करने के बाद स्वयं ही बर्तन साफ करने पड़ते हैं। मंगलवार की सुबह दस बजे स्कूल परिसर में ऐसे बच्चे जो ठीक से अपने हाथ से पानी भरकर पी नहीं सकते, वह हैडपंप पर झूलते नजर आए, कुछ हैडपंप चला रहे थे, अन्य बच्चे अपने बर्तन साफ कर रहे थे। खास बात तो यह है इस दौरान अगर कोई हादसा भी हो जाता तो उन मासूम बच्चों को कोई देखने वाला भी उनके पास नहीं था। बच्चों की मानें तो मध्यान्ह भोजन भी मैन्यू के अनुसार नहीं मिल रहा है। रोजाना वही आलू की सब्जी व रोटी मिल रही हैं। रोटी ऐसी कि शरीर में अगर मार दी तो चोट भी आ सकती है।
शिक्षक कक्ष में, रसोइयां खा रही थीं खाना
स्कूल परिसर में जब मासूम बच्चे हैडपंप पर बर्तन साफ कर रहे थे, तब शिक्षकीय स्टाफ कार्यालय में बैठा था और तीन रसोइयां थीं, वह स्कूल परिसर में बैठकर बच्चों के लिए भोजन का खा रही थीं। उसमें से एक रसोइया अनुपस्थित थी, एक रसोइया के परिवार के लोग भी खाना खा रहे थे। भृत्य भी स्कूल में नहीं था।
स्कूल परिसर में टंकी बनी शोपीस, नहीं हैं पानी की प्रोपर व्यवस्था
स्कूल परिसर में पानी की प्रोपर व्यवस्था नहीं हैं। टंकी तो रखी हैं लेकिन वह सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं। एक मात्र हैडपंप हैं जिससे बच्चे स्वयं पानी भरकर पीते हैं। अब तो स्कूल की बाउंड्री भी बन गई है। पहले स्कूल प्रबंधन इस बात का रोना रोता था कि मोटर चोरी हो जाती है इसलिए बोर में नहीं डलवाई गई है। लेकिन अब बाउंड्री को बने हुए कई महीने हो गए फिर भी प्रोपर पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है।
क्या कहते हैं बच्चे
  • हमतो रोजई खाना खाने के बाद अपने बर्तन साफ करते हैं, कोई नहीं करता।
    गौरव, छात्रा
  • टंकी में पानी नहीं था इसलिए हैडपंप पर बर्तन धोने रहे हैं। हैडपंप भी हमको ही चलाना पड़ता है।
    दिव्या, छात्रा
    कथन
  • यह बात सही है कि बर्तन धोने का काम रसोइयों का ही है लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि बच्चे स्वयं बर्तन साफ कर रहे थे, मैंने रसोइयों को फटकार लगाई है। बोर में मोटर तो डालनी हैं, लेकिन उसके पैसे कहां से लाएं।
    नीरू शर्मा, प्रभारी प्रधान अध्यापक, शासकीय मिडिल स्कूल, चंबल कॉलोनी
  • मध्यान्ह भोजन के बर्तन साफ करने का काम रसोइयों का ही है। चंबल कॉलोनी स्कूल में अगर बच्चे बर्तन साफ कर रहे, यह तो गंभीर मामला है। मैं बीआरसी को बोलकर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करवाता हूं।
    एस के सक्सेना, प्रभारी, जिला शिक्षा अधिकारी

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