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मुरैना

ये कैसी सफाई, बस्तियों में लगे कचरे के ढेर, नहीं हो रहा प्रोपर उठाव

कैसे मिलेगी स्वच्छता में रैंकिंग, निगम का अमला गंभीर नहीं, दीवार लेखन पर पानी की तरह बहाया पैसा, धरातल पर नजर नहीं आ रहा काम

मुरैनाApr 23, 2025 / 04:11 pm

Ashok Sharma

मुरैना. नगर निगम के स्वच्छता अमले की अनदेखी के चलते शहर में जगह- जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। एक तरफ रैकिंग बढ़े, इसके लिए निगम लगातार प्रयास कर रहा है। लेकिन कर्मचारियों की निष्क्रीयता के चलते शहर से कचरे का प्रोपर उठाव नहीं हो पा रहा है। निगम के पास तमाम अमला हैं, वाहन व कर्मचारियों पर महीने में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, उसके बाद भी शहर की स्वच्छता पर प्रोपर फोकस नहीं हैं।
यहां बता दें कि पिछले दो साल से मुरैना नगर निगम की स्वच्छता रैकिंग संतोषप्रद नहीं आ रही है। रैकिंग अच्छी आए, इसको लेकर नगर निगम के अमले द्वारा कवायद तो की जा रही है, लेकिन ये धरातल पर कम ही दिखाई दे रही है। स्वच्छता के लिए सामान खरीदी के नाम पर लाखों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। लेकिन शहर में गंदगी उन्मूलन पर ठोस प्लान नहीं किया और जागरुकता को लेकर निगम का अमला दीवार लेखन के नाम पर व्यर्थ पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। जनता के बीच में ऐसे प्रयास कम ही किए जा रहे हैं, जिससे स्वच्छता रैकिंग बढ सके।

रोज निकलता है शहर से 140 टन कचरा

शहर से रोज औसतन 140 टन कचरा निकलता है। इसको टोर टू टोर वाहन, ट्रैक्टर-ट्रॉली व डंपर से गाड़ी अड्डा पर एकत्रित करते हैं। यहां से वाहनों से निंबी स्थित डपिंग स्थल पर पहुंचाया जाता है। इसके अलावा शहर की ऐसी कई बस्तियां हैं जहां से कचरा नहीं उठ रहा है, ऐसी बस्तियों में भी करीब 20 टन कचरा रोजाना एकत्रित हो रहा है, जिसका उठाव नहीं हो रहा है।

रैकिंग बढ़ाने की दिशा में हों ये प्रयास

निगम की स्वच्छता रैकिंग बढ़ाने की दिशा में कई प्रयास हैं जो हो सकते हैं। इसमें शहर में जगह जगह पसरी गंदगी के ढेर समाप्त किए जाएं। डोर टू डोर वाहनों का प्रोपर बस्तियों तक पहुंचाया जाए। शिकायत का समय पर निराकरण हो, जब भी किसी द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर गंदगी या नाले, नालियों संबंधी शिकायत की गई, उस पर निगम का मैदानी अमला मौके पर पहुंचकर समस्या का निराकरण करे, अक्सर कार्यालय में बैठकर ही समस्या का निराकरण दिया जाता है। वहीं सीवर लाइन, गैस पाइप लाइन, चंबल वाटर प्रोजेक्ट के लिए खोदी गई सडक़ों की मरम्मत कर दी जाए, जिससे वहां पर गंदगी न फैले।

जानिए, क्या कहते हैं शहर के लोग

  • निगम प्लानिंग तो करता है, लेकिन उसके हिसाब से काम नहीं होता। अगर प्लानिंग पर कुछ प्रतिशत भी काम हो जाए तो काफी हद तक सुधार हो सकता है। जब सर्वे टीम के आने का समय आता है, उस पहले निगम सक्रिय हो जाता है।

मधुकर शर्मा टीटू, समाजसेवी

  • निगम का अमला खासकर शहर की मुख्य सडक़ों से कचरे का उठाव नियमित कर रहे हैं लेकिन बस्तियों की सडक़ों पर अक्सर कचरे के ढेर लगे रहते हैं। जिससे गंदगी पसर रही है।

रघुवीर राठौर, एडवोकेट

फैक्ट फाइल

80 वाहन लगे हैं निगम के सफाई कार्य में गाड़ी अड्डा पर।
10 जेसीबी जिनमें चार प्राइवेट शामिल।
25 ट्रैक्टर-ट्रॉली जिनमें 15 किराए पर लगे हैं।
45 डोर टू डोर वाहन जुड़े हैं गाड़ी अड्डा से।
100 कर्मचारी तैनात हैं गाड़ी अड्डा पर।
25 से 29 लाख का डीजल लगता है वाहनों में हर महीने।
01 लाख के करीब मेंटेंनेंस पर होते हैं महीने में खर्च।
12 लाख के करीब वेतन खर्च होता है गाडी अड्डा पर तैनात कर्मचारियों पर।
600 से अधिक सफाईकर्मी तैनात हैं निगम में।
सफाई कार्य को लेकर निगम का अमला जुटा हुआ है, अगर कहीं शिकायत मिलती है, तो वहां भी काम कराया जाता है, स्वच्छता को लेकर स्टाफ को और टाइट किया जाएगा।

डॉ. जगदीश टैगोर, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

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