script’12 ‘O’ Clock’ हॉरर नहीं, ‘हॉरिबल’ तमाशा, इस फिल्म से कई गज की दूरी बहुत जरूरी | 12 'O' Clock movie review in Hindi | Patrika News
मूवी रिव्यू

’12 ‘O’ Clock’ हॉरर नहीं, ‘हॉरिबल’ तमाशा, इस फिल्म से कई गज की दूरी बहुत जरूरी

12 ‘O’ Clock फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं, जो इससे पहले पर्दे पर नहीं देखा गया हो
कहानी निहायत फुसफुसी, पटकथा में झोल ही झोल, लचर निर्देशन
मिथुन, मानव कौल समेत सभी कलाकारों में ओवर एक्टिंग की होड़

मुंबईJan 09, 2021 / 07:55 pm

पवन राणा

'12 'O' Clock' Movie Review

’12 ‘O’ Clock’ Movie Review

-दिनेश ठाकुर

कोरोना फैलने से काफी पहले रामगोपाल वर्मा ( Ram Gopal Varman ) की फिल्मों को लेकर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का पालन होने लगा था। जिन सिनेमाघरों में उनकी फिल्में दिखाई जाती थीं, उनसे लोग कई गज दूर रहते थे। पिछले कुछ साल में उन्होंने इस कदर बचकाना और फूहड़ फिल्में बनाईं कि किसी वर्ग ने इनमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। हैरानी होती है कि ‘सत्या’ और ‘शूल’ बनाने वाले फिल्मकार की ‘फैक्ट्री’ (यह रामगोपाल वर्मा की कंपनी का नाम है) में ऐसी फिल्मों का उत्पादन होने लगा, जिनके सिर-पैर समझ में नहीं आते। उनकी नई फिल्म ’12 ओ क्लॉक’ ( 12 ‘O’ Clock Movie ) भी हॉरर के नाम पर बेसिर-पैर का तमाशा है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इससे पहले पर्दे पर नहीं देखा गया हो। कहानी निहायत फुसफुसी है। पटकथा में झोल ही झोल हैं। जो कसर रह गई थी, रामगोपाल वर्मा के लचर निर्देशन ने पूरी कर दी।

सिंगर मीका सिंह ने पहले खुद की आंदोलनकारी किसानों की मदद, फिर फैंस से की ये अपील

अंधविश्वास में लिपटी कहानी
अंधविश्वास में लिपटी इस फिल्म की शुरुआत में गौरी (कृष्णा गौतम) नाम की लड़की रात को अचानक बिस्तर से उठकर इधर-उधर डोलना शुरू कर देती है। उसके माता-पिता, दादी और भाई खर्राटे भर रहे हैं। वह अजीब ढंग से आंखें घुमाकर, मुंह बनाकर इस कमरे से उस कमरे में घूमती रहती है। हॉरर पैदा करने के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक का सहारा लिया गया। फिर भी हॉरर पैदा नहीं होता। आगे पता चलता है कि एक सीरियल किलर की रूह ने इस लड़की के शरीर पर कब्जा कर रखा है। जाहिर है, अब तांत्रिक (आशीष विद्यार्थी) की एंट्री होगी। मनोचिकित्सक (मिथुन चक्रवर्ती) की पनाह ली जाएगी। डॉक्टर (अली असगर) को दिखाया जाएगा। जब ये सब हाथ खड़े कर देते हैं, तो लड़की का पिता (मकरंद देशपांडे) यह बताने थाने पहुंच जाता है कि शहर में जो हत्याएं हो रही हैं, उसकी बेटी कर रही है। बताने की जरूरत नहीं कि थाने का इंचार्ज वही एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है, जिसने दो साल पहले सीरियल किलर का सफाया किया था। कहानी पहले भी बिना बात गोल-गोल घूम रही थी। आगे भी इसी तरह घूमती हुई क्लाइमैक्स पर जाकर ढेर हो जाती है।

आधी फिल्म के बाद आए मिथुन और मानव
इस बेजान कहानी में तमाम कलाकारों से जितनी ओवर एक्टिंग हो सकती थी, उन्होंने तबीयत से की है। मिथुन चक्रवर्ती और मानव कौल की एंट्री आधी फिल्म के बाद होती है। तब तक ओवर एक्टिंग का मोर्चा मकरंद देशपांडे, कृष्णा गौतम और अली असगर संभाले रहते हैं। बाद में मिथुन और मानव भी ओवर एक्टिंग का रेकॉर्ड तोडऩे में जुट जाते हैं। गोया सभी में होड़ थी कि कौन ज्यादा फेल-फक्कड़ कर सकता है। बेटी को सीरियल किलर की रूह से आजाद करने के लिए इस फिल्म में माता-पिता ने जो कुछ किया, वह शायद ही दुनिया में किसी ने किया होगा। यानी जो कहीं नहीं हुआ, वह ’12 ओ क्लॉक’ में हो गया।

Home / Entertainment / Movie Review / ’12 ‘O’ Clock’ हॉरर नहीं, ‘हॉरिबल’ तमाशा, इस फिल्म से कई गज की दूरी बहुत जरूरी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो