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मूवी रिव्यू

टाइगर और श्रद्धा की ‘बागी 3’ देखने से पहले यहां जानें कैसे ही फिल्म

सुपरहिट तमिल फिल्म ‘वेत्ताई’ का रिमेक ‘बागी 3’ न हजम होने वाले एक्शन से भरपूर है। टाइगर के कुछ बेहतरीन एक्शन सीन ही फिल्म को बोझिल बना देते हैं….

Mar 06, 2020 / 09:33 pm

भूप सिंह

tiger shroff

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निर्देशक: अहमद खान
सितारे: टाइगर श्रॉफ, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख, अंकिता लोखंडे, विजय वर्मा, जयदीप अलावत, जमील खोरी और अन्य
कहानी: साजिद नाडियाडवाला
डायलॉग्स: फरहाद सामजी
स्क्रीन प्ले: फरहाद सामजी, स्पर्श खेत्रपाल, ताशा भाम्रा और मधुर शर्मा
सिनेमैटोग्राफ़र: संतना कृष्णन रविचंद्रन
रन टाइम: 147 मिनट
रेटिंग: 2/5 स्टार

सुपरहिट तमिल फिल्म ‘वेत्ताई’ का रिमेक ‘बागी 3’ न हजम होने वाले एक्शन से भरपूर है। टाइगर के कुछ बेहतरीन एक्शन सीन ही फिल्म को बोझिल बना देते हैं। सबसे पहले इस कहानी पर बनी तमिल फिल्म को दर्शकों ने पसंद किया, फिर तेलुगु फिल्म ने भी लोगों को लुभाया, पर ‘बागी 3’ टाइगर के फैंस को भी निराश करेगी। पूरी फिल्म बचकाने डायरेक्शन के चपेट में आ गई है। इसमें जबरन आतंकवाद को ठूंसा गया है। इतना कमजोर आतंकवाद कहीं देखने को नहीं मिलेगा। इसके बाद जबरन भारत-पाकिस्तान के लोगों के बीच का प्यार..! दर्शकों के गले नहीं उतरेगा। रितेश देशमुख ने अपना काम ठीक से किया है, पर फिल्म कहीं से उठती नहीं दिखती। बहुत से सीन्स का कोई मतलब ही नहीं निकलता। कुल मिलाकर दर्शकों को निराश करने वाली फिल्म है ‘बागी 3’।

कहानी
कहानी दो भाइयों रॉनी (टाइगर श्राफ) और विक्रम (रितेश देशममुख) के आसपास घूमती है। विक्रम सीधा-साधा और कमजोर व्यक्तित्व वाला इंसान है। रॉनी तेज और ताकतवर। वह अपने भाई विक्रम से बेहद प्यार करता है। रॉनी अपने भाई का रक्षक है। पिता की जगह पर नौकरी मिलने की बात आती है, तो विक्रम पुलिस ऑफिसर बन जाता है। विक्रम की जगह उसका भाई रॉनी मुजरिमों को पकड़ता है और विक्रम का नाम बहुत अच्छे पुलिस ऑफिसरों में शामिल होने लगता है। इसी बीच सिया (श्रद्धा कपूर) और रॉनी में प्यार होता है। विक्रम की शादी सिया की बहन (अंकिता लोखंडे) से हो जाती है। पुलिस डिपार्टमेंट इस बहादुर ऑफिसर को एक महत्वपूर्ण काम से सीरिया भेजता है, जहां विक्रम को आतंकवादी पकड़ लेते हैं। इसके बाद अपने भाई को बचाने रॉनी सीरिया पहुंचता है और आतंकवादियों को तबाह करके भाई को बचा लेता है।

डायरेक्शन
फिल्म को अच्छा या खराब करने में सबसे बड़ी जिम्मेदारी डायरेक्टर की होती है, इसके बाद लेखक और डायलॉग राइटर की। इस फिल्म में तीनों ने अपना काम ठीक से नहीं किया दिखता है। बिना सोचे समझे कहीं भी कुछ भी दिखाया गया है। पुलिस डिपार्टमेंट को इतना कमजोर दिखाया गया है कि हंसी आ जाती है। पुलिस कमिश्नर जैसे महत्तवपूर्ण पद का तो मजाक ही बना दिया गया है। दो बार हिट हुई कहानी को खराब तरीके से लिखा गया और उससे भी खराब तरीके से प्रस्तुत किया गया है। हालांकि कुछ एक्शन सीन बहुत अच्छे बन पड़े हैं।

एक्टिंग
फिल्म में एक्टिंग के नाम पर कुछ मिलने वाला नहीं है। लीड रोल में टाइगर ने ठीक-ठाक काम किया है, श्रद्धा ओवर एक्टिंग करती दिखती हैं। बाकी के कलाकारों को ज्यादा जगह नहीं मिली है। रितेश और अंकिता लोखंडे और मेन विलेन अबू जलाल (जमील खोरी) ने ठीक-ठाक काम किया है।

क्यों देखें
आप अगर हार्डकोर टाइगर फैन हैं, उनकी बॉडी और एक्शन देखने जा सकते हैं। इस फिल्म में खूबी ढूंढ़े तो कुछेक एक्शन सीन बेहतर हैं।

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