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Tumko Meri Kasam Review: IVF किंग की शानदार कहानी, ईशा देओल की 14 साल बाद वापसी 

Tumko Meri Kasam Movie Review: ईशा देओल, अनुपम खेर, अदा शर्मा जैसे सितरों से सजी मूवी तुमको मेरी कसम रिलीज हो गई है। यहां पढ़िए कैसी है ये मूवी।

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Tumko Meri Kasam Movie Review

Tumko Meri Kasam Movie Review

फिल्म: तुमको मेरी कसम

राइटर और डायरेक्टर: विक्रम भट्ट

कास्ट: अनुपम खेर, अदा शर्मा, ईश्वाक सिंह, ईशा देओल, मेहरजान बी माजदा और सुशांत सिंह।

रेटिंग: 3.5/5

Tumko Meri Kasam Movie Review: "तुमको मेरी कसम" केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि संघर्ष, जुनून और दृढ़ निश्चय की कहानी है। ये फिल्म डॉ. अजय मुर्डिया के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने इंदिरा IVF की स्थापना कर हजारों निःसंतान दंपतियों को माता-पिता बनने का सपना साकार करने में मदद की। एक छोटे से क्लिनिक से देश की सबसे बड़ी IVF चेन बनाने का उनका सफर हौसले और मेहनत की मिसाल है। ये फिल्म उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए हर बाधा को पार करने का हौसला रखते हैं।

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कैसा है डायरेक्शन 

विक्रम भट्ट, जो हॉरर और थ्रिलर फिल्मों के लिए मशहूर हैं, इस बार एक दमदार बायोपिक लेकर आए हैं। "गुलाम", "राज़", "कसूर", "1920" जैसी सुपरहिट फिल्मों के बाद इस प्रेरणादायक कहानी को पर्दे पर उकेरने में भी उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की है। फिल्म में संघर्ष, न्याय और पारिवारिक मूल्यों को प्रभावशाली तरीके से दिखाया गया है।

कोर्टरूम ड्रामा

फिल्म का सबसे दमदार पहलू इसका कोर्टरूम ड्रामा है। 62 वर्षीय डॉ. अजय मुर्डिया, जिन्हें अपने ही बनाए इंदिरा IVF को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। उनके पुराने दोस्त राजीव खोसला, जो अब लालच और महत्वाकांक्षा से अंधे हो चुके हैं, उनके सबसे बड़े विरोधी बन जाते हैं। फिल्म धोखे, नैतिकता और न्याय की इस लड़ाई को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करती है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।

कैसी है एक्टिंग

अनुपम खेर- डॉ. अजय मुर्डिया के रूप में दमदार अभिनय, उनकी संवेदनशीलता और दृढ़ता प्रभावी है।

ईश्वाक सिंह- उनकी सहजता और अदा शर्मा के साथ केमिस्ट्री अच्छी लगती है।

ईशा देओल- 14 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रही ईशा एक निडर वकील की भूमिका में बेहतरीन नजर आई हैं। उनकी और अनुपम खेर की जुगलबंदी कोर्टरूम सीन में शानदार बन पड़ी है।


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कैसा है संगीत

फिल्म का संगीत इसकी आत्मा को और गहराई देता है। प्रतीक वालिया द्वारा रचित गाने भावनात्मक रूप से कनेक्ट करते हैं और फिल्म की कहानी को मजबूत बनाते हैं। विक्रम भट्ट की फिल्मों में हमेशा यादगार संगीत होता है, और इस बार भी यह दर्शकों के दिलों को छूने में कामयाब रहता है।

फिल्म की खास बातें

 प्रेरणादायक कहानी- सच्ची घटनाओं पर आधारित संघर्ष और सफलता की कहानी।

 परिवार के साथ देखने योग्य- बिना किसी अश्लीलता और फालतू हिंसा के, जो इसे एक पारिवारिक फिल्म बनाती है।

 शानदार कोर्टरूम ड्रामा- न्याय, नैतिकता और लालच के बीच की दिलचस्प टक्कर।

 अभिनय का दमदार प्रदर्शन-अनुपम खेर, ईशा देओल और ईश्वक सिंह ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।

 संगीत और संवाद - शानदार डायलॉग्स और इमोशनल म्यूजिक फिल्म को और प्रभावशाली बनाते हैं।

कमजोर पक्ष

थोड़ी लंबी फिल्म- यदि इसे 15-20 मिनट छोटा किया जाता, तो इसकी पकड़ और भी मजबूत हो सकती थी।