24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बस आज से ही करें ये दस उपाय, गणपति बनाएंगे बिगड़े हुए काम

गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को बालतृणम् कहते हैं। यह घास का बालरूप है। बड़ी हो जाने पर यह आम घास की तरह हो जाती है।

2 min read
Google source verification

image

Kamal Singh

Sep 01, 2016

how to please lord ganesha with 10 simple tricks

how to please lord ganesha with 10 simple tricks

इंदौर। पार्वती नंदन प्रथम पूज्य गणपति को प्रसन्न करना बेहद आसान है। जैसे भोले भंडारी भक्तों के भाव से प्रसन्न होते हैं वैसे ही गजानन भी भक्तों के भाव देखते हैं। यदि भक्त इन छोटे-छोटे सरल उपायों का अनुसरण करें तो गणपति अवश्य प्रसन्न होंगे। वैसे भी शिवपुत्र भक्तों की सच्चे मनोभाव के भूखे हैं।

-गणपति को तुलसी छोड़कर हर पुष्पपत्र प्रिय हैं इसलिए गणपति को तुलसी कभी ना चढ़ाएं।


- गजानन को दूर्वा बेहद पसंद हैं इसलिए उन्हें सफेद या हरी दूर्वा चढ़ानी चाहिए। दूर्वा दूः+ अवम् इन वर्णों के संजोयन से बना है। ये -दोनों ही शब्द एक दूसरे के विपरीत हैं। दूः यानी दूरस्थ और अवम् अर्थात जो पास लाता है। इसलिए दूर्वा का अर्थ हुआ ऐसी वस्तु जो आपको दूर से गणपति के निकट ले आए।

-गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को बालतृणम् कहते हैं। यह घास का बालरूप है। बड़ी हो जाने पर यह आम घास की तरह हो जाती है।

- दूर्वा को विषम संख्या में जैसे 3, 5, 7, 11 आदि में समर्पित किया जाता है।


- दूर्वा को यज्ञ में अर्पित की जाने वाली समिधा ( आम की लकड़ियों के बंडल ) के रूप में बांध कर अर्पित किया जाता है। दूर्वा को एकत्र कर बांधने के लिए दूर्वा का ही उपयोग किया जाना चाहिए।

-भगवान गणेश को गुड़हल का लाल फूल बेहद प्रिय है। इसके अलावा चांदनी चमेली या परिजात के फूलों की माला बनाकर पहनाने से भी गणपति प्रसन्न होते हैं।

-गणपति का वर्ण लाल है। इसलिए उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लालफूल एवं रक्त चंदन का उपयोग किया जाता है।

-गणपति की अराधना के साथ शिव-पार्वती की अराधना की जाए तो गणेश आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करते हैं।

-गणेश प्रथमपूज्य हैं। अर्थात किसी भी भगवान की अर्चना करने से पहले गणपति की पूजा-अर्चना करना आवश्यक है। प्रथमपूज्य को अक्षत अर्पण करने से वे आपके सारे विध्न हर लेते हैं।

-हर पूजन अर्चन से पहले इस श्लोक का पूर्ण भक्ति से वाचन करना चाहिए-

वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समःप्रभः
निःविध्नम कुरु मे देवाः सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

ये भी पढ़ें

image