scriptAtal Bihari Vajpayee death anniversary: मुंबई से अटल विहारी वाजपेयी के ये चार बड़े बयान, जिन्‍होंने देश में हलचल पैदा की | Atal Bihari Vajpayee death anniversary: ​​These four big statements of Atal Bihari Vajpayee from Mumbai, which created a stir in the country | Patrika News

Atal Bihari Vajpayee death anniversary: मुंबई से अटल विहारी वाजपेयी के ये चार बड़े बयान, जिन्‍होंने देश में हलचल पैदा की

locationमुंबईPublished: Aug 16, 2022 03:01:57 pm

Submitted by:

Siddharth

16 अगस्‍त 2018 को भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया था। बीजेपी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी के उस दौर को याद करते हुए बताते हैं कि जनसंघ के नेता के रूप में उनका मुंबई से खास रिश्ता रहा है।

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Atal Bihari Vajpayee

आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी चौथी पुण्‍यतिथि पर याद कर रहा है। भारत रत्‍न वाजपेयी देश के वो प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्‍हें दूसरे देशों के नेता भी सम्‍मान की नजर से देखते थे। वाजपेयी के निधन के बाद उनसे जुड़े तमाम किस्से लोगों के जेहन में आने लगे थे। अटल बिहारी वाजपेयी का मुंबई के साथ भी बड़ा गहरा नाता रहा है। वाजपेयी के भाषण उनकी पहचान तो थी ही, साथ ही उनके उदार मतवादी व्यक्तित्व को उजागर भी करते थे।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुंबई में यह भविष्यवाणी की थी अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा। उनके ये शब्द पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी बनी जो आज तक उन्हें संबल देते रहे हैं। मुंबई से उनका नजदीकी नाता रहा है।
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मुंबई से अटल विहारी वाजपेयी के चार बयान

कमल खिलेगा..

6 अप्रैल 1980 में मुंबई में अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर अध्यक्षीय भाषण दिया था। उस समय एक राजनीतिक दल के रूप में बीजेपी की ताकत ज्यादा नहीं थी। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने अध्यक्षीय भाषण के अंत में कहा था कि भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा। अटल बिहारी वाजपेयी के इस भाषण ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को जोश से भर दिया था। स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने 28 दिसंबर 1980 में हुए इस पहले अधिवेशन की डॉक्युमेंट्री बनाई थी। ये डॉक्युमेंट्री 2005 मे मुंबई में हुए बीजेपी के 25वें अधिवेशन में दिखाई गई।
सुनने आते हैं लोग: 24 दिसंबर 1984, शिवाजी पार्क में एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस दौरान अटल को बधाई देनेवालों का तांता लगा हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी दो सीटों पर आकर सिमट गयी थी। खुद वाजपेयी चुनाव हार गये थे। वाजपेयी बैठक को संबोधित करने के लिए खड़े हुए और वहां पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। तकरीबन 10 सेकंड बाद वाजपेयी ने कहा, हारा हुआ अटल बिहारी कैसा दिखता है यह देखने लिए इतनी भीड़। इस संबोधन के बाद वहां पर कई बार तालियां गूंजीं। अटल ने फिर कहा, ‘वैसे आप सब मतदान वाले दिन कहां थे?’
किताब का उत्तर किताब से: ये मामला साल 2003 का है जब एनसीपी के कई नेताओं से समर्थित संभाजी ब्रिगेड ने लेखक जेम्स लेन की किताब का मुद्दा उठा लिया था। किताब में छत्रपति शिवाजी महाराज पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर किताब पर पाबंदी की मांग की गई थी और महाराष्ट्र विधानसभा में इस पर काफी गहमा गहमी भी थी। महाराष्ट्र बीजेपी के नेता कांग्रेस एनसीपी की हां में हां मिला रहे थे। ऐसे में किसी उद्घाटन समारोह में अटल बिहारी वाजपेयी मुंबई आए और इस मुद्दे पर अपनी बात रख दी। वो भी पॉज के साथ.. ”किताब का विरोध करना है तो दूसरी किताब लिखिए..पाबंदी से सवाल हल नहीं होते।
राम लक्ष्मण: साल 2005 में मुंबई में बीजेपी का 25वां राष्ट्रीय अधिवेशन, चुनाव हारने के बाद पार्टी का मनोबल गिरा हुआ था। अधिवेशन के बाद शाम को मुंबई में शिवाजी पार्क पर रैली थी। इस रैली को अटल बिहारी वाजपेयी संबोधित करनेवाले थे। इस रैली में अटल बिहारी वाजपेयी काफी थोड़ा रुक कर बोल रहे थे। अपने भाषण के आखिर में उन्होंने कहा कि आडवाणी जी और प्रमोद महाजन बीजेपी के राम लक्ष्मण होंगे। मंच पर मौजूद बाकी दावेदारों को समझ नहीं आया कैसे रिएक्ट करना है।
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