
रोहित के. तिवारी की रिपोर्ट...
(मुंबई): देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे पालघर में रविवार देर शाम को भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप के झटके 3.2 तीव्रता वाले बताए गए, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है कि मुंबई में भूकंप का कोई खतरा नहीं है। आमची मुंबई भूकंप के मुहाने पर खड़ी है।
भूगर्भ जानकारों की मानें, तो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के नीचे जो भूगर्भ प्लेटें हैं, अगर उनमें जरा सी भी हरकत हुई, तो मायानगरी मुंबई में भारी तबाही हो सकती है। यह भूगर्भ प्लेटें ठाणे खाड़ी, पनवेल खाड़ी और अंबा नदी के नीचे से गुजरती हैं और इनका केंद्र उरण के पास स्थित है। मुंबई में भूकंप के भय को साबित करने वाली एक और फॉल्ट लाइन है, जो मलाबार हिल से खंबाला हिल होती हुई वर्ली तक आती है। इन प्लेटों के हिलने से दक्षिण मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई से लेकर रायगढ़ तक भारी तबाही हो सकती है।
16 हजार इमारतों और 146 स्लम एरिया पर संकट...
मुंबई में करीब 16 हजार जर्जर इमारतें हैं और तकरीबन 146 स्लम एरिया समुद्र सीमा से 500 मीटर की दूरी पर बसे हैं, जहां हाईटाइड में पानी भर जाता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अगर गहरे समुद्र के भीतर कोई भूकंप आता है और रिएक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता पांच से ज्यादा रहती है, तो मुंबई के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। इस लिहाज से सबसे ज्यादा खतरा महालक्ष्मी, प्रभादेवी, दादर, सायन, कुर्ला, कलीना, मलाड पश्चिम, बोरिवली, मीरा रोड जैसे कई इलाकों पर मंडरा रहा है।
ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो जाएंगी इमारतें...
मुंबई के आसपास ठाणे, नवी मुंबई और रायगढ़ में लाखों इमारतों का निर्माण मानकों का उल्लंघन करके किया गया है। बड़े पैमाने पर फैले स्लम में लाखों की संख्या में कमजोर घर खड़े हैं। यह सब एक झटके में ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो सकते हैं। इन सबसे ज्यादा तबाही वे बहुमंजिला इमारतें और टॉवर्स बरपाएंगे, जिनमें भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल तक नहीं किया गया है। जबकि, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने अपनी गाइड लाइंस में साफ-साफ कहा है कि मुंबई में सिर्फ और सिर्फ भूकंप रोधी इमारतें ही बननी चाहिए और जितना जल्दी हो सके पुरानी, जर्जर इमारतों का पुनर्निर्माण होना चाहिए। वहीं जानकारों के अनुसार मुंबई के गर्भ में सिर्फ ये तीन ही नहीं, बल्कि कुल दस फॉल्ट लाइन हैं, जो मुंबई को कभी भी हिला और दहला सकती हैं।
6 से अधिक तीव्रता पर होगा अधिक नुकसान...
अगर घनी आबादी वाले शहर मुंबई में रिक्टर पैमाने पर 6 से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है।
- डॉ. किशोर शिवसागर, डीएमसी, डिजास्टर मैनेजमेंट, बीएमसी
सकते में है आर्थिक राजधानी...
भूगर्भशास्त्रियों की माने तो मुंबई भूकंप प्रवणक्षेत्र यानी सिस्मिक जोन-4 में आता है, जहां कभी भी 6.5 की तीव्रता तक का भूकंप आना लाजिमी है। भूकंप को लेकर भूगर्भशास्त्रियों ने देश को चार हिस्सों में बांटा रखा है, जैसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5। इसमें सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है, जबकि सबसे कम खतरा जोन-2 को बताया गया है। वहीं महाराष्ट्र राज्य को जोन-3 और जोन-4 में रखा गया है, जहां अधिकांश भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहे हैं।
इस तरह समझें भूगर्भशास्त्रियों का गणित...
जोन-1 :- इसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उडीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।
जोन-दो :- इसमें तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां भूकंप की संभावना बनी रहती है।
जोन-3 :- केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस जोन में भूकंप के झटके यदा-कदा आते रहते हैं।
जोन-4 :- इसमें मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं। यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप के झटके महसूस भी किए जाते रहे हैं।
जोन-5 :- भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक इलाका है। इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य शामिल हैं।
Published on:
12 Nov 2018 08:26 pm
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