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26/11 मुंबई आतंकी हमले की गवाह देविका रोटावन ने इस मांग को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जानें पूरा मामला

26/11 मुंबई आतंकी हमले में सबसे कम उम्र की घायल और प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन ने बांबे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर सरकारी आवास आवंटित किए जाने की मांग की है। देविका रोटावन की इस मांग को महाराष्ट्र सरकार पहले ही ठुकरा चुकी है।

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Devika Rotawan

मुंबई 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले में सबसे कम उम्र की घायल और प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन ने सरकारी आवास आवंटित किए जाने की मांग को लेकर बांबे हाई कोर्ट का रूख किया है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने देविका रोटावन की इस मांग को ठुकरा चुकी है। अब 23 वर्षीय देविका रोटावन ने बांबे हाई कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले साल 2020 में भी ऐसी ही याचिका दायर की थी।

उस समय कोर्ट ने उसकी याचिका को महाराष्ट्र सरकार को रेफर करते हुए उपयुक्त निर्देश देने को कहा था, लेकिन देविका रोटावन ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था। इसलिए उन्होंने दोबारा बांबे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। यह भी पढ़ें: Marathi Cinema: मराठी सिनेमा में डेब्यू करेंगी कन्नड़ अभिनेत्री मेघा शेट्टी; 'आफ्टर ऑपरेशन लंदन कैफे' में निभाएंगे लीड रोल

बता दें कि गुरुवार को जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और एमएस कार्निक की खंडपीठ के सामने पेश हुई इस याचिका पर महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वकील ज्योति चवन ने बताया कि देविका रोटावन को राज्य सरकार की ओर से 13.26 लाख रुपए का मुआवजा दिया जा चूका है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार की ओर से वकील आर.बुबना का कहना है कि देविका रोटावन को हमले के बाद सरकारी नीति के तहत दस लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था।

आर.बुबना ने कहा कि देविका रोटावन अधिकार के नाम पर ऐसे और चीजों की मांग नहीं कर सकती हैं। इस मौके पर देविका रोटावन के वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं थे, इसलिए इस मामले को खंडपीठ ने 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

26/11 को अजमल कसाब सहित लश्‍कर के 10 आतंकियों ने मुंबई में टेरर अटैक किया था। अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। इसके बाकी साथी मारे गए थे। कसाब को 3 मई 2010 को 80 मामलों में दोषी ठहराया गया था। कसाब के खिलाफ भारत में हमला करने और बेगुनाहों का खून बहाने का दोषी ठहराया गया था। इस मामले में कोर्ट ने 6 मई 2010 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी।