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मिल कर्मचारियों को घर देने के प्रस्ताव को अंतिम रूप

184 एकड़ भूमि का निरीक्षण मिल मजदूर संघ ने सीएम समेत म्हाडा से की मांग दिए जाएं वर्षों से लंबित घर

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मिल कर्मचारियों को घर देने के प्रस्ताव को अंतिम रूप

मिल कर्मचारियों को घर देने के प्रस्ताव को अंतिम रूप

मुंबई. मुंबई में मिल कर्मचारियों को घर देने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है और आने वाले दिनों में इस पर निर्णय लिया जाएगा। मिल मजदूर संघ ने मांग की कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस मिल मजदूरों को जमीन उपलब्ध कराएं। दूसरी ओर जिला कलेक्टर ने ठाणे, कल्याण, पनवेल, अंबरनाथ क्षेत्र में मिल मजदूरों के भवनों के निर्माण और कलेक्टर के कब्जे में जमीन हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पेश किया है और यह निर्णय मुख्य सचिव के पास लंबित है। सचिन अहीर, प्रवीण घाग ने मिल मजदूर नेता दत्ता इस्वलकर के साथ म्हाडा के अध्यक्ष उदय सामंत से मुलाकात कर मांग की कि मिल मजदूरों के लिए घर कैसे बनाए जाएंगे और इसके लिए जमीन कैसे उपलब्ध कराई जाएगी। इस दौरान गिरणी कामगार संघर्ष समिति, राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ, सेंच्युरी मिल कामगार एकता मंच और गिरणी कामगार सेना समेत गिरणी कामगार संघटना के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मजदूर संघों ने मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में ठाणे, कल्याण और पनवेल अंबरनाथ में 184 एकड़ भूमि का निरीक्षण किया है। इसकी सूचना संबंधित कलेक्टर को भी दी गई है।

विस चुनाव से पहले सुलझेगा मुद्दा...
विदित हो कि श्रमिक संघों ने मांग की है कि भूमि को म्हाडा को हस्तांतरित किया जाए और कलेक्टर के कब्जे में राजस्व और राज्य सरकार की भूमि का संग्रह करके निरीक्षण किया जाए। वहीं उदय सामंत ने बताया कि यह प्रस्ताव मुख्य सचिव के पास प्रस्ताव लंबित था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नाहूर, भांडुप और शिवड़ी में मिठागर और खार की जमीन में मिल श्रमिकों के लिए घरों के निर्माण पर निर्णय लंबित था। उदय सामंत ने जानकारी दी कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।

1 लाख 70 हजार को घरों का इंतजार...
ठाणे जिले के नगरनिगम क्षेत्र में म्हाडा के माध्यम से इन घरों की लॉटरी को तरीके से वितरित किया जाएगा। इसके अलावा अमरनाथ, कल्याण और डोंबिवली क्षेत्र में कुछ सरकारी भूमि एमएमआरडीए के नियंत्रण में है और कृति समिति का आग्रह है कि मौजूदा मिल वर्कर्स एसोसिएशन की अधिनियम समिति के सदस्य दित्ता इसलकर ने कहा कि मिल श्रमिकों के मकानों के लिए भूमि को म्हाडा को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। 90 के दशक में मुंबई में कपड़ा उद्योग पर एक डरावना पड़ाव आ गया था। उन मिलों में काम करने वाले लगभग दो लाख श्रमिकों को कई दिनों तक रखड़ना पड़ा था। हालांकि कुछ को मकान आवंटित कर दिए गए हैं, जबकि अभी भी करीब 1 लाख 70 हजार मिल मजदूर घरों का इंतजार कर रहे हैं। वहीं सरकार कई वर्षों से लंबित मकानों के सवाल का समाधान करने को भी तैयार थी।