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धीरे-धीरे काबू में आ रहा एचआइवी संक्रमण, 2030 तक एड्स से निजात का लक्ष्य

विश्व एड्स दिवस आज: सरकार और एनजीओ कर रहे कामबीमारी को लेकर भारत में पड़ोसी देशों से ज्यादा सतर्कतादेश में 25 लाख से ज्यादा संक्रमित, हजारों बच्चे भी एड्स पीडि़त

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HIV VACCINE: मिल गया एचआईवी एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज

HIV VACCINE: मिल गया एचआईवी एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज

बसंत मौर्य/मुंबई. नब्बे के दशक में नींद उड़ा चुका एचआइवी वायरस का संक्रमण भारत में धीरे-धीरे कम हो रहा है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर इसी वायरस से एड्स होता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत गठित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) एचआइवी संक्रमण रोकने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। नाको की ओर से संक्रमितों को एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी antiretroviral therapy (एआरटी) मुफ्त दी जाती है। एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया (एएसआइ) सहित कई एनजीओ भी एड्स के खिलाफ मुहिम में जुटे हैं। देश में एचआइवी संक्रमितों की संख्या लगभग 25 लाख है। इनमें 12 साल से कम के 51 हजार बच्चे भी हैं। संक्रमितों में 45 प्रतिशत महिलाएं और दो प्रतिशत बच्चे हैं। सबसे ज्यादा एचआइवी संक्रमित महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में हैं। दक्षिणी और उत्तर पूर्व के राज्यों में संक्रमण दर ऊंची है जबकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत से कम है। भारत में 2010 के मुकाबले 2021 में नए संक्रमितों की संख्या में 46 प्रतिशत और एड्स की वजह से मौत 82 प्रतिशत कम हुई है। वैश्विक स्तर पर यह अनुपात 31 प्रतिशत और 42 फीसद है। संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक संस्था यूएनएड्स ने कोरोना काल में एचआइवी नियंत्रण के लिए भारत को सराहा है। एएसआइ को उम्मीद है कि 2030 तक एड्स से निजात मिल जाएगी। एचआईवी रोधी वैक्सीन-दवा आइ तो यह लक्ष्य मुमकिन है। जहां तक पड़ोसी देशों का सवाल है तो भारत में एड्स को लेकर आम लोग पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका के मुकाबले ज्यादा सजग-सतर्क हैं। एड्स के खिलाफ मुहिम से जुड़े डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत ने एड्स की रोकथाम में भारत ने अच्छा काम किया है।
16 लाख लोगों को दवा
एएसआइ ने बताया कि नाको के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एचआइवी संक्रमितों की मदद कर रही है। राष्ट्रीय मुहिम के तहत देश भर में 16 लाख संक्रमितों को जीवन रक्षक दवाएं व एंंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) दी जा रही है। संगठन का कहना है कि बाकी संक्रमितों को भी ये सुविधा मिलनी चाहिए। इससे वायरस का फैलाव रोकने में मदद मिलेगी।
2026 तक चलेगी मुहिम
राष्ट्रीय एड्स एवं एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) 31 मार्च, 2026 तक चलेगा। एनएसीपी-पांच पर 15,472 करोड़ रुपए खर्च होंगे। एड्स नियंत्रण के लिए 1992 में एनएसीपी की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर 31 मार्च, 2021 तक इसके चार चरण पूरे हो चुके हैं। हजारों करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। पांचवें चरण में 27 करोड़ लोगों की एचआइवी जांच होगी। इसमें 14 करोड़ गर्भवती भी शामिल होंगी। इस कार्यक्रम के तहत 2026 तक 21 लाख लोगों को एआरटी उपचार के दायरे में लाने का लक्ष्य है।
दुनिया में 2.6 लाख से ज्यादा एड्स रोगी
यूएनएड्स के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 2021 में करीब 15 लाख लोग एड्स की चपेट में आए जबकि 6.50 लाख संक्रमितों की मौत हुई। हर मिनट औसतन एक से ज्यादा शख्स की जान गई। दुनिया भर में 2.60 करोड़ से ज्यादा एचआइवी संक्रमित उपचाराधीन हैं। एचआइवी की रोकथाम के लिए केबोटीग्राविर (कैब-ला) नामक नई दवा आइ है। यह इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। यह एचआइवी जीनोम को ब्लॉक कर देता है। नतीजे में वायरस इंसान के डीएनए में प्रवेश नहीं कर पाता है। दावा है कि इस दवा से एड्स का वायरस न तो शरीर में फैल सकता है और न ही नुकसान पहुंचा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कैब-ला को एड्स नियंत्रण मुहिम में शामिल करने का सुझाव दिया है।
दवा-टीका बनाने का प्रयास
तमाम प्रयासों के बावजूद एड्स अभी लाइलाज है। कुछ दवाएं हैं, जिनसे संक्रमण रोका रोका जा सकता है। नियमित दवा लेने से संक्रमित व्यक्त लंबे समय तक जीवित रह सकता है। एड्स रोधी टीका व दवा बनाने की कोशिशें जारी हैं। इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को वैक्सीन के मोर्चे पर कामयाबी मिली है। शोध टीम ने शरीर में मौजूद टाइप बी वाइट ब्लड सेल्स के जीन में कुछ बदलाव कर एचआइवी वायरस को तोडऩे में सफल रही है। मॉडर्ना ने भी एमआरएनए वैक्सीन बनाई है जो ट्रायल के दौर में है।
कैसे फैलता है संक्रमण
ये बीमारी एचआइवी (HIV) यानी इम्यूनोडेफिशियंसी वायरस से फैलती है। ये वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करता है। उपचार नहीं मिलने पर संक्रमित को एड्स हो जाता है। असुरक्षित यौन संबंध, दूषित खून चढ़ाने, संक्रमित सीरिंज से इंजेक्शन से वायरस के संक्रमण का खतरा होता है। गर्भवती मां यदि संक्रमित है तो बच्चा भी एचआइवी पॉजिटिव हो सकता है।