Maharashtra News: बचपन में रोटी के लिए किया संघर्ष, खाने में खाते थे महुआ के फूल; अब बने अमेरिका में साइंटिस्ट
मुंबईPublished: Nov 13, 2022 04:24:54 pm
भास्कर हलामी एक आदिवासी समुदाय में पले-बढ़े भास्कर का बचपन आम बच्चों जैसा बिल्कुल भी नहीं था। भास्कर की एक सफल वैज्ञानिक बनने की यात्रा काफी बड़ा बाधाओं से भरी रही। आदिवासी समुदाय में पले-बढ़े भास्कर हलामी आज अमेरिका में एक सीनियर साइंटिस्ट हैं। हलामी अपने गांव के पहले ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी होल्डर हैं।


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कहते है अगर कुछ करने की ठान लो तो सपने भी सच होते हैं। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के एक सुदूर गांव में अपना बचपन बिता चुके भास्कर हलामी (Bhaskar Halami) ने कर दिखाया हैं। बचपन में एक समय के खाने के लिए संघर्ष करने वाले भास्कर हलामी आज अमेरिका में एक सीनियर साइंटिस्ट हैं। उनके संघर्ष की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।