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लॉकडाउन से बेहाल: गांव जाने के लिए 10 लाख लोगों ने जमा किए आवेदन

लॉकडाउन से बेहाल: गांव जाने के लिए 10 लाख लोगों ने जमा किए आवेदन तीन लाख पहुंचे घर, अपनी बारी के इंतजार में सात लाख लोग रोजगार छिनने के बाद खाने के लाले पड़े

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लॉकडाउन से बेहाल: गांव जाने के लिए 10 लाख लोगों ने जमा किए आवेदन

लॉकडाउन से बेहाल: गांव जाने के लिए 10 लाख लोगों ने जमा किए आवेदन

अरुण लाल
मुंबई. कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से प्रवासी मजदूर बेहाल हैं। रोजगार छिनने के बाद खाने के लाले पड़े हैं। अपने मूल गांव-घर जाने के लिए महाराष्ट्र में अब तक लगभग 10 लाख लोगों ने सरकार के पास आवेदन दिया है। इनमें से लगभग तीन लाख लोग घर भेजे गए हैं।

मुंबई सहित राज्य के अन्य हिस्सों में रह रहे सात लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जहां तक रेलवे का सवाल है तो 13 मई तक कुल 800 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। इन ट्रेनों के जरिए देश भर में 10 लाख लोग घर पहुंचाए गए हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के वादे के बावजूद ट्रेन का किराया मजदूरों से ही वसूला जा रहा है।

सावधानी बरतें
ट्रेन से यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को मास्क पहनने, बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है। साथ ही रेलवे अधिकारी लोगों को एक दूसरे से दूर बैठने की सलाह भी दे रहे हैं। ट्रनों में चढ़ते-उतरते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यात्रियों के साथ सफर करने वाले रेल स्टॉफ को सेनेटाइजर, मास्क और पीपीई किट भी दी जा रही है।

राज्य से भेजी गईं 134 गाडिय़ां

महाराष्ट्र से बुधवार तक 134 गाडिय़ां देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी गईं। इन ट्रेनों के जरिए 1 लाख 60 हजार 800 लोग अपने गृह राज्य पहुंचाए गए। ये सभी ट्रेनें श्रमिक स्पेशल हैं। प्रत्येक ट्रेन में लगभग 12 सौ लोग भेजे गए हैं। रेलवे ने लॉकडाउ नियम का पालन करते हुए ये गाडिय़ां चलाईं।

50 हजार वाहनों को अनुमति

महाराष्ट्र सरकार निजी या किराए के वाहनों से गांव जाने की अनुमति भी प्रदान कर रही है। सरकार ने ऐसे 50 हजार आवेदन मंजूर किए हैं। सरकार की अनुमति लेकर वाहनों से 1.40 लाख लोग घर जा चुके हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में लोग बिना अनुमति ट्रकों, बसों और ऑटो से जा रहे हैं। कई लोग तो पैदल भी गांव की तरफ निकल पड़े हैं।

स्पेशल ट्रेनें ही क्यों
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल हम सिर्फ जरूरी सेवाएं देने को तैयार हैं। सामान्य ट्रेनों में सब कुछ (समय, स्टॉफ, रूट और अन्य) पहले से तय होता है। स्पेशल ट्रेन हम पैसेंजरों के हिसाब से चला रहे हैं।

राज्य सरकार हमें बताती है कि कहां के लिए कितनी ट्रेन चलानी है। स्पेशल ट्रेनों में हम यह तय कर सकते हैं कि ट्रेन कहां रोकनी है, कहां नहीं। स्पेशल ट्रेन के टिकट सिर्फ ऑनलाइन मिल रहे हैं।

रोजी नहीं तो कैसे मिलेगी रोटी
कोरोना के चलते लोगों का रोजगार छिन गया है। सबको यही चिंता सता रही है कि जब रोजी नहीं है, तो रोटी कहां से मिलेगी। इसीलिए लोग कैसे भी अपने घर पहुंचना चाहते हैं।

महाराष्ट्र सरकार एक मई से लोगों को घर जाने की अनुमति दे रही है। इसके लिए करीबी पुलिस स्टेशन में पंजीकरण कराना होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमति की जिम्मेदारी जिलाधिकारी के पास है।