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महाराष्ट्र के इस गांव के हर घर के मुख्य द्वार पर नहीं लगाए जाते ताले, जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

महाराष्ट्र में एक गांव ऐसा भी हैं जहां घर के मुख्य द्वार पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि यहां शनिदेव स्‍वयंभू हैं। शनि शिंगणापुर मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है जो अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर पूरे भारत के स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इस गांव की कई कहानियां प्रसिद्ध है।

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Shani Shingnapur Village

महाराष्ट्र में एक गांव ऐसा भी हैं जहां घर के मुख्य द्वार पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। शनि शिंगणापुर मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये एक प्रसिद्ध मंदिर है और पूरे भारत के स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इस मंदिर के अलावा, शिंगणापुर एक छोटा सा गाँव है जो इस बात के लिए भी फेमस है कि पूरे गाँव में किसी भी घर में दरवाजे नहीं हैं और इसके बावजूद इस गांव में चोरी भी नहीं होती। लोगों का कहना है कि शनि देव खुद इसकी रक्षा करते है।

शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका के एक गांव का नाम है, यह गांव भगवान शनि के अपने लोकप्रिय मंदिर (श्री शनेश्वर देवस्थान शनिशिंगनापुर) के लिए जाना जाता है। शनिदेव के इस मंदिर को सजीव मंदिर माना जाता है। इसका मतलब है कि इस मंदिर के भगवान अभी भी यहां मौजूद हैं। भगवान अभी भी काले पत्थर में रहते हैं। इसकी एक वजह ये भी है ये मंदिर पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है। यह भी पढ़ें: Maharashtra News: 1 नवंबर से होने वाली 15 हजार पुलिस स्टाफ की भर्ती रुकी, जल्द जारी होगा नया नोटिफिकेशन

बता दें कि स्वयंभू का मतलब है कि कुछ भी चीज खुद से उभरी हुई। यहां के लोगों का मानना है कि भगवान शनि स्वयं काले पत्थर के रूप में पृथ्वी से अवतरित हुए थे। शनि भगवान कब काली मूर्ति के रूप में पृथ्वी से प्रकट हुए, इसका सही समय किसी को नहीं पता। लेकिन यह माना जाता है कि कलियुग की शुरुआत के दौरान कुछ चरवाहों को ये काली मूर्ति मिली थी।

घरों में दरवाजे या ताले नहीं लगाए जाते: महाराष्ट्र का ये एकमात्र गांव है जहां घरों में दरवाजे और ताले नहीं होते हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि इस गांव में चोरी भी नहीं होती है। यहां तक कि गांव में राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की शाखा के भी दरवाजों पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव द्वारा सुरक्षित इस गांव में चोर कभी भी चोरी नहीं कर सकता है। अगर कोई भी चोरी करने का प्रयत्न करता है तो उसे दैवीय दंड मिल जाता है। शनि देव खुद इस गांव की रक्षा करते है।

बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि देव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे है। इसके पीछे भी एक छोटी सी कहानी है। जब शनि देव की ये मूर्ति चरवाहों को मिली, उस रात भगवान शनि एक चरवाहे के सपने में आए और उसे मूर्ति की पूजा करने और पूजा करने के तरीकों के बारे में बताया। इसके बाद चरवाहों ने भगवान शनि से पूछा कि क्या उन्हें मूर्ति के लिए मंदिर बनाना चाहिए। इस पर शनिदेव ने कहा कि छत की कोई जरुरत नहीं है। सारा आकाश मेरी छत है। इसी वजह से भगवान शनि की काली प्रतिमा आज भी खुले आसमान के नीचे है।

पहले महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन 26 जनवरी 2016 को तिरुपति देसाई के नेतृत्व में 500 से अधिक महिलाओं के एक समूह ने मंदिर तक मार्च किया। वे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। लेकिन 30 मार्च 2016 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने का निर्देश जारी किया।