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महिला से दुष्कर्म, गोद में सो रहा बच्चा रोया तो मार डाला… महाराष्ट्र के संजू सरकार को अब होगी फांसी

Maharashtra Crime: दोषी ने न केवल एक विवाहित महिला के साथ दरिंदगी की थी, बल्कि उसकी गोद में सो रहे महज तीन साल के मासूम बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी थी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Dec 25, 2025

Maharashtra murder rape

AI Image

महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरौली (Gadchiroli) जिले के अहेरी में 2017 की वह काली रात आज भी ग्रामीणों के जेहन में सिहरन पैदा कर देती है। एक तरफ मां अपनी अस्मत बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी, तो दूसरी तरफ उसकी गोद में सो रहा तीन साल का मासूम अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था। इस रूह कपा देने वाले 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' कांड में सात साल बाद न्याय की जीत हुई है। अहेरी की अतिरिक्त सत्र अदालत ने दरिंदगी की सारी हदें पार करने वाले दोषी संजू विश्वनाथ सरकार को फांसी की सजा सुनाकर समाज में एक कड़ा संदेश दिया है।

जब संजू बन गया ‘हैवान’

यह घटना तब हुई जब पीड़िता का पति रोजगार के लिए आंध्र प्रदेश गया था। घर में सिर्फ मां और उसका छोटा सा बच्चा थे। पड़ोस में रहने वाले संजू सरकार ने इसे मौके की तरह देखा और आधी रात को दीवार फांदकर घर में घुस आया। महिला के साथ हैवानियत करते समय जब उसकी गोद में सो रहा मासूम रोने लगा, तो उस पत्थर दिल इंसान का कलेजा नहीं पसीजा। उसने गुस्से में उस नन्हे बच्चे का गला इतनी बेरहमी से घोंटा कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

फांसी के फंदे तक पहुंचा संजू

हैरानी की बात यह है कि जेल में कई महीने बिताने के बाद आरोपी को जमानत मिल गई। उसने बाहर आकर शादी भी कर ली और एक गैरेज में मैकेनिक का काम कर नई जिंदगी की शुरुआत करने की कोशिश की। उसे लगा कि वक्त के साथ उसका गुनाह धुंधला पड़ गया है, लेकिन इंसाफ तो बाकी था।

पुलिस और सरकारी पक्ष ने इस मामले में कड़ी मेहनत की। पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल से वैज्ञानिक साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्य जुटाए। अदालत ने माना कि आरोपी का कृत्य समाज के लिए कलंक है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

ट्रायल के दौरान सरकारी वकील और जांच टीम ने मेडिकल रिपोर्ट और परिस्थितियों के ऐसे पुख्ता सबूत पेश किए कि न्यायाधीश प्रकाश आर कदम ने दोषी को सिर्फ फांसी की सजा ही नहीं दी, बल्कि रेप और हत्या के प्रयास के लिए उम्रकैद भी सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि पीड़ित को लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के जरिए आर्थिक मदद दी जाए।

परिवार ने छोड़ा गांव

सात साल बाद अदालत के इस फैसले ने न केवल पीड़ित मां के कलेजे को ठंडक पहुंचाई है, बल्कि कानून पर आम आदमी के भरोसे को और मजबूत किया है।

हालांकि संजू सरकार का परिवार भी उसके घिनौने कृत्य का नतीजा भुगत रहा है। घटना के बाद गांव में भारी तनाव फैल गया था। आक्रोशित ग्रामीणों ने संजू का घर तक जला दिया था, जिसके बाद उसके परिवार को गांव छोड़कर भागना पड़ा था।