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Maharashtra Politics: शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, शिवसेना की अर्जी पर फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से किया इनकार

महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम अभी खत्म होता नहीं दिख रहा है। शिवसेना आज फिर बागी विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन वहां उसे फिर झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना की अर्जी पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया हैं।

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Eknath Shinde

मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के सीएम पद पर शपथ लेने के बावजूद सियासी संग्राम खत्म नहीं हुआ है। शिवसेना ने बागी विधायकों के खिलाफ आज फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन वहां उसे झटका लगा है। उद्धव खेमे ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि 16 बागी विधायकों को सस्पेंड किया जाए, जिनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। इससे शिंदे गुट को एक बड़ी राहत मिली है।

ज्ञात हो कि इन 16 विधायकों में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाम का भी समावेश है। शिवसेना की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई से इनकार कर दिया हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह 11 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी। तब महाराष्ट्र से संबंधित अन्य अर्जियों पर भी सुनवाई की जाएगी। उद्धव खेमे की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को इसपर सुनवाई करनी चाहिए ताकि संविधान की 10वीं अनुसूची प्रभाव में बनी रहे। साथ ही उसका उल्लंघन न हो।

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सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शिवसेना के चीफ व्हीप सुनील प्रभु ने दी थी। इसमें कहा गया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय ना दे तब तक विधानसभा में नई सरकार के बहुमत परीक्षण पर रोक लगाई जाए। प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले सोमवार को दिए गए आदेश की हवाला इसमें दिया था।

उल्लेखनीय है कि डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने 16 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही का नोटिस भेजा था। जिसके बाद शिंदे खेमे ने डिप्टी स्पीकर पर भेदभाव का आरोप लगाया हुआ है। बागियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिसके बाद कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी।