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एमएमआरडीए की ‘आईकॉनिक’ बिल्डिंग का उदघाटन हुआ

97 महीने बाद आई सीएम को याद, कुल लागत 106 करोड़ की, जिसमें 19 करोड़ की हुई वृद्धि

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Vikas Gupta

Jan 23, 2016

MMRDA

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मुंबई। महाराष्ट्र राज्य की सूखाग्रस्त स्थिति और किसानों की आत्महत्या के मद्देनजर प्रभावितों को मदद के लिए आगे-पीछे करने वाले सत्ताधारी और सरकारी बाबू स्वयं की सुख-सुविधा पर करोड़ो रुपये की फिजूलखर्ची कैसे करते हैं, यह देखने के लिए जनता बीकेसी स्थित एमएमआरडीए के आईकॉनिक' बिल्डिंग का एक बार दर्शन जरूर करना चाहेगी। 97 महीने की देरी बाद बनी नई बिल्डिंग पर 106 करोड़ रुपये का खर्चा होने की जानकारी उजागर हुई है। सीएम देवेंद्र फडनवीस ने 97 महीने की देरी के बाद बनी एमएमआरडीए की कार्यालयीन आईकॉनिक' बिल्डिंग का उद्घाटन शनिवार को किया। एमएमआरडीए की तिजोरी से 19 करोड़ का अतिरिक्त धन इस योजना पर अधिक खर्च हुआ है।

87 करोड़ थी मूल लागत
एमएमआरडीए प्रशासन से बीकेसी स्थित एमएमआरडीए मुख्यालय के पीछे निर्माणाधीन नई आईकॉनिक' बिल्डिंग के काम की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांगी थी। एमएमआरडीए के कार्यकारी अभियंता और जन सूचना अधिकारी मो.य. पाटील ने गलगली को बताया कि बिल्डिंग का काम दिनांक 24.12.2007 को मंजूर किया गया था। काम की मूल रकम 87 करोड़ थी और दिनांक 31.12.2012 को काम पूर्ण होना जरूरी था। 3 बार काम की समय अवधि बढ़ाई गई है। प्रथम अवधि दिनांक 15.09.2013, दूसरी अवधि 31.12.2014 और अब दिनांक 31.05.2015 यह नई सीमा अवधि है। 106 करोड़ रुपये नई रकम होने से कुल 19 करोड़ की वृद्धि हुई है।

कई नामी कंपनियों ने किया निर्माण
विदित हो कि बिल्डिंग का निर्माण मेसर्स रेलकॉन इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, भीतरी डेकोरेशन का काम मेसर्स गोदरेज कंपनी लिमिटेड और इलेक्ट्रिक एवं एयर कंडीशन से जुड़ा काम मेसर्स प्रविण इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड इन कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। 9 मंजिल एवं 2 सर्विस मंजिल ऐसी कुल 11 मंजिल वाली यह नई बिल्डिंग है। 97 महीने के बाद बनी इस नए कार्यालयीन आईकॉनिक' बिल्डिंग का उदघाटन किया गया। विशेष यानी प्रस्तावित आलिशान बिल्डिंग से सटकर तंत्री नाम की अत्याधुनिक बिल्डिंग एमएमआरडीए प्रशासन की है। एक ओर महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा सूखाग्रस्त और दूसरी ओर किसानों की आत्महत्या में वृद्धि होते हुए भी स्वंय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए द्वारा किया जाने वाला करोड़ो रुपये का खर्चा सूखाग्रस्तों और किसान परिवारों के जख्म पर नमक छिड़कने समान है।

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