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मुंबई

अवैध इमारतों को बचाने के लिए बढ़ रही अवैध स्कूलों की संख्या, देश की आर्थिक राजधानी का बुरा हाल ?

अवैध इमारतों ( Illegal Buildings ) को बचाने के लिए ( To Save ) बढ़ रही अवैध स्कूलों ( Illegal Schools ) की संख्या, अधिकारियों की मिलीभगत ( Collusion Of Officers ) से फलफूल रहा शिक्षा का बाजार ( Education Market ), भूमाफिया ( Land Mafia ) अनधिकृत इमारतें ( Unauthorized Buildings ) बनाकर दे रहे नागरिकों को धोखा ( Cheat citizens ), अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षा क्षेत्र में हो रहा गैरकानूनी ढंग से काम ( Work Illegally )

मुंबईDec 03, 2019 / 10:29 am

Rohit Tiwari

अवैध इमारतों को बचाने के लिए बढ़ रही अवैध स्कूलों की संख्या, देश की आर्थिक राजधानी का बुरा हाल ?

अवैध इमारतों को बचाने के लिए बढ़ रही अवैध स्कूलों की संख्या, देश की आर्थिक राजधानी का बुरा हाल ?

– रोहित के. तिवारी/ धर्मेंद्र निगम
मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी के शहर में दिन पर दिन अवैध स्कूलों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए ऐसे स्कूलों पर अगर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई तो छात्रों के शैक्षणिक करियर को खतरा है। अवैध इमारतों को बचाने के लिए उस इमारत में स्कूल का व्यवसाय शुरू किया जाता है। इस तरह से जहां शिक्षा का बाजार शहर में फलफूल रहा है, वहीं जनप्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएं भी इसके प्रति उदासीन नजर आ रही हैं। तेजी से विकसित हो रहे शहर वसई-विरार में कई गैर धंधे शुरू हो गए हैं। एक तरफ जहां दूषित पानी, मिलावटी पदार्थ नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भूमाफिया अनाधिकृत इमारतें बनाकर नागरिकों को धोखा दे रहे हैं और नागरिक सुविधाओं का बोझ बढ़ रहा है। इस तरह की अव्यवस्थाओं के बीच के शिक्षा क्षेत्र में भी गैरकानूनी ढंग से काम किया जा रहा है।

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सामाजिक संगठन भी उदासीन…
विदित हो कि शहर में अनगिनत अनाधिकृत स्कूल बढ़ रहे हैं, जिनके आंकड़े चिंताजनक हैं। ऐसे स्कूलों से एक ओर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना तो मुश्किल है ही, वहीं दूसरी ओर स्कूलों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। इन अनाधिकृत स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों को उनके अकादमिक करियर से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं शहर में रहने वाले अभिभावकों के पास भी चुप रहने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। जबकि लोकप्रतिनिधि समेत सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी इसके प्रति उदासीन हैं।

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सिर्फ लुभाने के काम कर रहे स्कूल…
उल्लेखनीय है कि वसई तालुका में नागरिक मध्यम वर्ग के हैं। सस्ते घर के लिए मुंबई के मध्यवर्गीय मराठी लोगों के साथ ही अन्य प्रदेशों लोग भी यहां रहते हैं और असुविधाओं को अपनी सुविधा के रूप में स्वीकार करने को मजबूर हैं। जबकि अभिभावकों की दुर्दशा को समझते हुए वसई तालुका में शिक्षा का अवैध कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है। इन क्षेत्र में कई डेवलपर्स के पास अपने स्कूल हैं, जिससे उनकी अनाधिकृत इमारतों को सुरक्षा मिलती है। वहीं ऐसे भवनों पर नगरपालिका भी कोई कार्रवाई नहीं करती है। ऐसे स्कूल आज भी छात्र और अभिभावकों को सिर्फ लुभाने का काम कर रहे हैं। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल बड़े पैमाने पर शुरू किए जाते हैं। दरअसल, आज के दौर में सामान्य माता-पिता भी अपने बच्चे को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में भेजना चाहता है, जिसके चलते बड़ी संख्या में छात्र इन स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं।

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जिला परिषद शिक्षा विभाग की सहानुभूति…
पालघर शिक्षा विभाग की माने तो जिले में माध्यमिक स्कूलों में एक हजार 141 स्कूल हैं, वहीं 199 स्कूल अनाधिकृत हैं, जिसमें से 160 तो सिर्फ वसई-विरार शहर में हैं। यह जानकारी केवल माध्यमिक स्कूल के लिए है, जबकि प्राथमिक और पूर्ण माध्यमिक स्कूलों की संख्या अधिक है। शिक्षा विभाग केवल नोटिस जारी करने का काम करता है, जबकि कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाती, जिसके चलते ये स्कूल बगैर किसी भय के चल रहे हैं। जिला परिषद शिक्षा विभाग अवैध स्कूलों के प्रति सहानुभूति रखता है, जबकि इसकी जिम्मेदारी उसी पर है। स्कूल की गुणवत्ता की जांच करने वाला कोई नहीं, जबकि अवैध रूप से संचालित इन स्कूलों को ओर से अभिभावकों से पैसे उगाही का काम किया जा रहा है।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्कूल भी शामिल…
इमारत के तहखाने में एक अंधेरे कक्षा हैं, जो एक कोटररी द्वारा बनाई गई है, जिसमें सुस्त छात्र हैं। इसी वजह से स्कूलों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद इससे सीखे गए पाठ खोखले हैं। इससे छात्रों का समग्र विकास नहीं होता है। एक तरफ जिला परिषद स्कूल हैं, वहीं अनाधिकृत निजी स्कूल फल-फूल रहे हैं। साथ ही जिला परिषद स्कूलों में एक शिक्षक तीन से चार कक्षाओं को संभाल रहा है, इन जिला परिषद स्कूलों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती है, जबकि कई स्कूल 8वीं तक हैं। इन छात्रों के लिए आगे सीखने के लिए कोई जगह नहीं है। इसके कारण सैकड़ों छात्रों की आधी स्कूली शिक्षा ही हो पाती है। पेल्हार, कामण, बोलिंज, खानिवडे, नारंगी फाटा, धानीव, माणिकपुर, दिवानमान, वसई पश्चिम, कलम्ब, जूचंद्र, नायगांव, नालासोपारा, मनवेल पाडा, समेलपाडा, चन्दनसार, संतोष भुवन, अचोले, मोरेगांव, वालीव जैसे विभिन्न स्थानों में अवैध स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्कूल भी शामिल हैं।

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शिक्षा विभाग और मनपा प्रशासन की मिलीभगत…
स्थानीय मनपा प्रशासन ने क्षेत्र में फैले अवैध स्कूलों के लिए कोई नियमावली निर्धारित नहीं है, जिसके चलते अवैध स्कूलों का निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं। वहीं शिकायत मिलने पर मनपा प्रशासन कार्रवाई करने के बजाय जिला परिषद के शिक्षा विभाग पर मामला थोपने का काम किया जाता है। तालुका के अधिकांश स्कूलों के पास न तो मनपा से निर्माण के लिए कोई वैध दस्तावेज हैं, न ही अग्निशमन विभाग से कोई एनओसी जारी किया गया है। वहीं शिक्षा विभाग बिना वैध दस्तावेजों के जांच किए बगैर स्कूलों का संचालन करने की अनुमति देता रहा है और जिला शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष प्रवेश सत्र के दौरान नोटिस जारी कर केवल कागजी खानापूर्ति करता ही नजर आता है, जबकि शिक्षा विभाग के नियमावली के मुताबिक अधिकांश स्कूलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए, वावजूद इसके निरंतर अवैध स्कूलों की संख्या में इजाफा हो रहा है। मनपा के डेवलपमेंट प्लान में सिडको ने स्कूलों के लिए जमीनों का आरक्षण निर्धारित किया था, लेकिन कुछ ही आरक्षित जमीनों पर स्कूलों का निर्माण हो सका है।

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शिकायत मिलने पर होगी तोड़क कार्रवाई…
तालुका में संचालित अवैध स्कूलों पर रोक लगाने का काम हमारा नहीं हैं, यह जिला परिषद के शिक्षा विभाग के अंतर्गत आता हैं। जिला परिषद ने शिक्षा विभाग को मनपा प्रशासन को अभी तक हस्तांतरित नहीं किया गया है। अवैध निर्माण में संचालित स्कूलों की शिकायत मिलने पर तोड़क कार्रवाई की जाएगी।
– बीजी पवार, आयुक्त, वसई-विरार शहर महानगर पालिका

शिक्षा विभाग ने यह क्या कर दिया…!

 

अवैध स्कूलों की रद्द होगी मान्यता…
जिले भर में संचालित अवैध स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है और अवैध स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए कहा गया हैं। अगर इसके बावजूद स्कूल शुरू हैं तो स्कूल के खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाएगा। नोटिस के बाद जिले में बंद स्कूलों की जानकारी हमें नहीं हैं। हम पालघर जिले के शिक्षा विभाग के प्रभारी अधिकारी के तौर पर नियुक्त हैं। वसई के शिक्षा अधिकारी से जानकारी मांग लें।
– जेजे खोत, जिला शिक्षा अधिकारी

 

मनमर्जी से वसूली जा रही फीस…
अधिकांश अवैध स्कूल वसई-विरार शहर महानगर पालिका के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण किए गए हैं। अगर समय रहते इन अवैध निर्माण में चलने वाले स्कूलों पर कार्रवाई न की गई तो शिक्षा के बाजारीकरण पर अंकुश लगा पाना अत्यंत गंभीर हो जाएगा। कई छात्र स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान हादसों के शिकार हो चुके हैं। सैकड़ों स्कूलों में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। जिले के शिक्षा विभाग की उदासी

नता के कारण अवैध स्कूल संचालक अभिभावकों से मनमर्जी फीस भी वसूल रहे हैं।
– चंद्रशेखर गुप्ता, स्थानीय समाजसेवी

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