NCP Sharad Pawar Vs PA Sangma: सोनिया गांधी के विदेशी होने का आरोप लगाकर शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी।
NCP Crisis: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर दावा ठोकते हुए अजित पवार ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है, जबकि पार्टी के संस्थापक रहे शरद पवार ने अपने भतीजे अजित के सभी दावों को खारिज कर दिया है। असली एनसीपी कौन? इस मुद्दे पर शरद पवार और अजित पवार गुट निर्वाचन आयोग में जोरदार दलीलें दे रहा हैं। अजित पवार गुट का कहना है कि उसके साथ पार्टी के ज्यादातर विधायक और पदाधिकारी है। अजित गुट ने एनसीपी अध्यक्ष के पद से शरद पवार को भी हटा दिया है और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को एनसीपी प्रमुख बनाया है।
लेकिन अजित पवार पहले नेता नहीं हैं जिन्होंने शरद पवार को एनसीपी अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा की है। इससे पहले भी 2004 में पीए संगमा (PA Sangma) ने शरद पवार को पार्टी से बाहर कर खुद को अध्यक्ष को घोषित किया था। यह भी पढ़े-NCP: शरद पवार गुट को चुनाव आयोग से राहत, अजित खेमे की नहीं मानी बात! जानें आज सुनवाई में क्या हुआ
कांग्रेस से तोड़ा था नाता
सोनिया गांधी के विदेशी होने का आरोप लगाकर शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया। तब शरद पवार NCP के अध्यक्ष बने। बाद में शरद पवार ने ही कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और महाराष्ट्र में सरकार बनायी। ऐसे ही राष्ट्रीय स्तर पर भी पवार ने 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया। पीए संगमा ने शरद पवार के इस रुख का विरोध किया। उन्होंने कहा कि एनसीपी को कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहिए।
शरद पवार बनाम पीए संगमा
वरिष्ठ नेता पीए संगमा के विरोध के बावजूद शरद पवार ने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला बरकरार रखा। इससे एनसीपी में फूट पड़ गई। पीए संगमा ने 2004 में शरद पवार को पार्टी से निकालने की घोषणा की और खुद को एनसीपी का प्रमुख घोषित कर दिया। इसके साथ ही पीए संगमा चुनाव आयोग के चौखट पर भही पहुंचे और एनसीपी पार्टी और ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न पर दावा किया।
‘राष्ट्रवादी मेरी है...’
संगमा ने यह दावा करते हुए कि एनसीपी उनकी है, चुनाव आयोग से मांग की कि उन्हें घड़ी का चुनाव चिह्न मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने मांग की कि यदि घड़ी निशान उन्हें नहीं दिया जाता है तो उसे फ़्रीज़ कर दिया जाए। उन्होंने दलील दी कि एनसीपी के संस्थापकों में से वह एक हैं और उन्हें पार्टी पदाधिकारियों का भी समर्थन हासिल है।
पवार के पक्ष में थे अधिकतर MLA
एनसीपी में शरद पवार और पीए संगमा के बीच लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंचने के बाद सुनवाई शुरू हुई। जैसे अभी अजित पवार के मामले में हो रही है। तब शरद पवार ने दावा किया कि उनके पास पार्टी के अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ता हैं। साथ ही पवार ने कहा कि पार्टी के ज्यादातर विधायक भी उनके समर्थन में है।
शरद पवार के पास उस वक्त विधानसभा और विधान परिषद के 78 विधायक थे। उन्होंने 9 सांसदों का समर्थन होने का भी दावा किया था। पवार ने दावा किया कि एनसीपी के राष्ट्रीय संगठन के 657 में से 438 पदाधिकारी भी उनके साथ खड़े हैं। इसलिए चुनाव आयोग को एनसीपी पार्टी और उसका सिंबल उन्हें मिलना चाहिए।
चुनाव आयोग को सौंपे दस्तावेज
उधर, पीए संगमा ने इससे पहले अपने समर्थकों की एक बैठक की थी। लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि यह पार्टी की बैठक नहीं बल्कि निजी बैठक थी। संगमा को पूर्वोत्तर राज्यों के एनसीपी पदाधिकारियों का समर्थन प्राप्त था। जबकि शरद पवार को महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों के पदाधिकारियों का समर्थन मिला। पवार और संगमा ने अपने-अपने समर्थकों का शपथ पत्र भी दाखिल किया था।
शरद पवार के पक्ष में फैसला
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने फैसला किया कि एनसीपी शरद पवार गुट की है। इसके बाद पीए संगमा को पार्टी से निकाल दिया गया।
वर्तमान में शरद पवार बनाम अजित पवार की सुनवाई चुनाव आयोग में चल रही है। खबर है कि अजित पवार गुट ने आयोग के सामने पीए संगमा मामले का हवाला देते हुए एनसीपी पर अपना दावा किया है। अजित गुट ने कहा है कि उनके साथ ज्यादातर विधायक और पदाधिकारी हैं, उनके हलफनामे भी आयोग को दिए हैं। इस आधार पर एनसीपी उनकी है।