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कर्नाटक बस की टिकटों पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन का चिह्न देख भड़के मुसाफिर, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तस्वीर

कर्नाटक परिवहन को एक गलती से बस में यात्रा कर रहे मुसाफिर भड़क गए। परिवहन की बस से कुछ यात्री डोनी से गडग के लिए यात्रा कर रहे थे, तभी उन्होंने बस की टिकट पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन का चिह्न बना हुआ देखा। उस पर जय महाराष्ट्र भी लिखा हुआ था।

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NWKRTC

कर्नाटक परिवहन को एक गलती से बस में यात्रा कर रहे मुसाफिर भड़क गए। कर्नाटक के डोनी से गडग के लिये यात्रा कर रहे बस मुसाफिर उस समय हैरान रह गए जब उन्होंने बस की टिकटों पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन (MRTC) का चिह्न देखा। बस टिकट पर महाराष्ट्र परिवहन के चिह्न के साथ लिखा हुआ था 'जय महाराष्ट्र'। इस पूरी घटना को लेक गडग में कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ताओं के एक गुट ने इसका जमकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने गडग डिपो के परिवहन अधिकारियों के खिलाफ 'कामकाज में लापरवाही' के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया हैं।

बता दें कि कर्नाटक में कुछ यात्री डोनी से गडग जाने के लिए कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (NWKRTC) की बस से सफर कर रहे थे। इसी दौरान बस कंडक्टर ने उन्हें जो बस का टिकट दिया उस पर महाराष्ट्र परिवहन का चिह्न बना हुआ था, इसके अलावा उस टिकट पर जय महाराष्ट्र भी लिखा हुआ था, इसे देखकर मुसाफिर भड़क गए। यह भी पढ़ें: Mahrashtra News: महाराष्ट्र ATS का बड़ा खुलासा, PFI के निशाने पर थे पुलिस अधिकारी और जज; चार चरण में होती थी ट्रेनिंग

इसके बाद यात्रियों ने इस घटना की जानकारी परिवहन अधिकारियों और स्थानीय कार्यकर्ताओं को दी। इसके अलावा टिकट की फोटो को सोशल मीडिया पर भी उन्होंने वायरल कर दिया। मुद्दा गरमाने के बाद एनडब्ल्यूकेआरटीसी ने मुंदरागी तालुक और गडग में डोनी के बीच के रूट के लिए 70 टिकट रोल वापस ले लिए। इस पूरे मामले को लेकर एनडब्ल्यूकेआरटीसी के एक अधिकारी ने बताया कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के लिए एक ही एजेंसी टिकट के रोल प्रिंट करती है। जिसकी वजह से ही यह गलती हुई है। हमने गडग डिपो के संभाग नियंत्रक को इस मामले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दे दिया है।

बता दें कि इस घटना को लेकर बेलगावी जिला कन्नड़ संगठन कार्य समिति के अध्यक्ष अशोक चंद्रगी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य की सीमा से लगे जिलों में भाषा को लेकर हमेशा तनाव बना रहता है। यह घटना ऐसे समय में सामने आया है जब कई कन्नड़ समर्थक ग्रुप 1 नवंबर को कन्नड़ राज्योत्सव (कर्नाटक स्थापना दिवस) मानने की तैयारी में जुटे हैं।