Pune Lok Sabha Election: एनसीपी नेता अजित पवार के बयान पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने नाराजगी जताई है। जबकि विजय वडेट्टीवार ने सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि पवार को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे एमवीए में मतभेद हो।
Sanjay Raut on Pune Lok Sabha Poll: पुणे के दिवंगत बीजेपी सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद खाली हुई लोकसभा सीट पर जल्द उपचुनाव की घोषणा होने की संभावना है। लेकिन इससे पहले यहां उम्मीदवार उतारने को लेकर महाविकास अघाडी (MVA) में जोरदार रस्साकशी शुरू हो गई है। एनसीपी नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने इस सीट पर दावा किया है।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता कह चुके हैं कि चूंकि यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस का रहा है, इसलिए कांग्रेस का उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़ेगा। इस सीट पर एमवीए की दो प्रमुख पार्टियों के आमने-सामने आने के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत भी इस विवाद में कूद पड़े हैं और अपने सहयोगी दलों के नेताओं को नसीहत दी है। यह भी पढ़े-महाराष्ट्र में कांग्रेस के एकमात्र सांसद बालू धानोरकर की तबीयत बिगड़ी, कल हुआ था पिता का निधन
राउत ने कहा कि फॉर्मूला सही रहा तो कसबा विधानसभा उपचुनाव की तरह पुणे लोकसभा उपचुनाव भी महाविकास अघाडी आसानी जीत सकती है। सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर देना अनुचित है। जो विजयी होगा उसे मौका मिलना चाहिए, इसी फॉर्मूले से महाराष्ट्र और देश में जीता जा सकता है। संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी को थोड़ा-थोड़ा त्याग करना ही होगा।
इससे पहले एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने कहा कि पुणे की लोकसभा सीट पर एनसीपी की दावेदारी मजबूत हैं। पुणे में एनसीपी कांग्रेस से ज्यादा ताकतवर है। पुणे की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो यह देखना चाहिए कि किसके पास ज्यादा विधायक हैं। उन्हें मिले वोट को देखना चाहिए. पवार ने दलील दी कि इस सीट पर कांग्रेस पहले भी चुनाव लड़ी थी, लेकिन जीत नहीं सकी। हालांकि हमारे बोलने से कोई फायदा नहीं होगा। इस पर तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता बैठकर फैसला लेंगे। आज कांग्रेस चाहे कुछ भी कहे, लेकिन पुणे में एनसीपी ज्यादा ताकतवर है।
अजित पवार के इस दावे के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई है और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने इस सीट को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। पवार के बयान पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने नाराजगी भी जताई है। जबकि विजय वडेट्टीवार ने सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि अजित पवार को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे महाविकास अघाडी में मतभेद पैदा हो।
वडेट्टीवार ने कहा, 'अगर अजित दादा पुणे की लोकसभा सीट पर दावा कर रहे हैं तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि हमने कितने दिन में कसबा की सीट जीती? उन्हें यह भी ध्यान में रखना चाहिए।‘
मालूम हो कि इसी साल 29 मार्च को गिरीश बापट का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। अपने इलाज के दौरान भी बापट पुणे के कसबा विधानसभा उपचुनाव के एक चुनावी सभा में शामिल हुए थे। गिरीश बापट आरएसएस के स्वयंसेवक थे। उन्होंने जनसंघ से राजनीति में प्रवेश किया था। नगरसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले बापट ने 1995 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और 2014 तक लगातार पांच बार विधायक चुने गए। वह 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पहली बार सांसद बने।