Shiv Sena Uddhav Thackery vs Eknath Shinde : जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी और शिवसेना दो धड़ों में बंट गयी। इसके बाद फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली 'शिवसेना' के रूप में मान्यता दी और 'धनुष-बाण' चुनाव चिन्ह भी दिया।
Shiv Sena Hearing in Supreme Court: चुनाव आयोग के असली शिवसेना वाले फैसले को चुनौती देने वाली शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब केवल मुख्य याचिका पर फैसला ही उपयुक्त रहेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उद्धव ठाकरे खेमे को इस मामले में नई अर्जी दाखिल नहीं करने के लिए कहा है। इसके साथ ही मुख्य याचिका को अब अगस्त में सूचीबद्ध कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान उद्धव गुट से कहा कि यह मामला दो वर्षों से लंबित है, इसलिए अब नए आवेदन दाखिल न करें। उन्होंने कहा, यह मामला काफी समय से लंबित है। हम शाम को तारीख की सूचना देंगे। साथ ही कहा कि अगर इस दौरान चुनाव होते हैं, तो दोनों पक्ष चुनाव लड़ सकते हैं।
एकनाथ शिंदे गुट की ओर से मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल ने पक्ष रखा, जबकि ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल और रोहित शर्मा ने दलीलें पेश कीं। कपिल सिब्बल द्वारा अगस्त में सुनवाई की तारीख की मांग पर कोर्ट ने कहा कि वह शेड्यूल देखकर शाम तक तारीख की जानकारी देंगे।
दरअसल उद्धव ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें 'शिवसेना' नाम, 'धनुष-बाण' निशान और बाघ वाले भगवा झंडे का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। यह मांग महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए की गई है। उद्धव गुट की ओर से वकील देवदत्त कामत ने इसी महीने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जल्दी सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि शिंदे गुट को शिवसेना नाम और उसके चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल से रोका जाए, क्योंकि ये शिवसेना की मूल पहचान हैं और जनता इससे भावनात्मक रूप से जुड़ती है। क्योंकि ये प्रतीक 1985 से शिवसेना की पहचान रहे हैं और मतदाता इन्हें बालासाहेब ठाकरे से जोड़ते हैं।
जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर कई विधायकों के साथ अलग गुट बनाया था। इसके बाद 15 फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष-बाण' चिन्ह दे दिया। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जो दो साल से लंबित है। उद्धव गुट चाहता है कि कोर्ट राज्य के स्थानीय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दे, ताकि उनका नुकसान न हो। उन्होंने एनसीपी मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अजित पवार गुट को चिन्ह दिया गया, वैसे ही उनके लिए भी व्यवस्था हो।
हालांकि शिंदे गुट इसके खिलाफ है और दलील में कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले ही इस नाम और चिन्ह से हो चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे की ऐसी ही मांग को खारिज कर दिया था।
दूसरी ओर, 10 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को 'असली शिवसेना' माना था। इसके खिलाफ उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद 22 जनवरी 2024 को शिंदे और उनके विधायकों को नोटिस जारी किया गया।