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पत्नी के पास से अपने बच्चे को ले जाना किडनैपिंग नहीं… बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द की पिता पर दर्ज FIR

Bombay High Court: शख्स अपने तीन साल के बेटे को उसकी मां के पास से ले आया था, जिसके बाद पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया।  

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 02, 2023

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हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

Maharashtra Amravati News: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अहम टिप्पणी करते हुए एक पिता के खिलाफ अपने ही बेटे के अपहरण के आरोप में दर्ज मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि एक पिता अपने बच्चे को मां की देखरेख से दूर ले जाता है तो उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अपहरण का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) के तहत दर्ज मामले को रद्द कर दिया। 35-वर्षीय याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी अलग रहते है। जबकि तीन साल का बेटा मां के साथ रहता था। कथित तौर शख्स अपने तीन साल के बेटे को उसकी मां के पास से ले आया। जिसके बाद महिला की शिकायत पर अमरावती पुलिस ने 29 मार्च 2023 को अपहरण का मामला दर्ज कर लिया। इसके मामले के खिलाफ पिता ने कोर्ट का रुख किया। यह भी पढ़े-'देशभक्ति देश के प्रति समर्पण में है... शत्रुता में नहीं', बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाक कलाकारों पर बैन लगाने से किया इनकार

कोर्ट ने 6 अक्टूबर को फैसले में कहा कि किसी भी जैविक पिता पर अपने ही बच्चे के अपहरण का मामला सिर्फ इसलिए दर्ज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह बच्चे को उसकी पत्नी से जबरन लाया है।

आदेश में कहा गया है कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता बच्चे का प्राकृतिक (स्वाभाविक) अभिभावक है। इसके अलावा वह मां के साथ-साथ बच्चे का वैध अभिभावक भी है।

कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि पिता नाबालिग का स्वाभाविक अभिभावक है। जबकि यह ऐसा मामला भी नहीं है कि मां (बच्चे की) को किसी कोर्ट के आदेश पर कानूनी रूप से नाबालिग बच्चे की देखभाल करने को कहा था या उसकी अभिरक्षा सौंपी थी।

इन तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। इस तरह के अभियोजन को जारी रखना कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसलिए पिता (याचिकाकर्ता) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाता है।