
हाल बेहाल:भिवंडी में अधिकांश निर्माण अवैध, शिकायत करें तो किससे?
मुनीर अहमद मोमिन
भिवंडी. पीरानीपाड़ा इमारत हादसे के बाद भिवंडी में अवैध और खतरनाक इमारतों का मसला फिर गरमाया गया है। सरकार और मनपा की छत्रछाया में जर्जर और अवैध इमारतों में रहने को मजबूर लोगों के सिर पर हमेशा मौत का साया मंडराता रहता है। तंत्र की नाकामी का इससे बड़ा पहलू और क्या होगा कि राज्य सरकार तथा मनपा की अधिकांश इमारतें ही अवैध और आदर्श एमआरटीपी एक्ट के खिलाफ हैं। यहां तक कि अधिकांश पुलिस स्टेशन और पुलिस कार्यालय भी अवैध भूमि पर कानून का सबक सिखा रहे हैं।
सरकार की मुस्तैदी का इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि भिवंडी एसटी स्टैंड भी धोखादायक (बदहाल) इमारतों की सूची में है, जिसे खाली करने के नोटिस तक वहां चस्पा किए जा चुके हैं। यहां इसका उल्लेख जरूरी है कि राज्य में 2007-2008 में अवैध निर्माणों बाबत जांच करने वाली अग्रवाल समिति ने उस समय बांबे हाईकोर्ट में हलफनामा पेश कर बताया था कि भिवंडी मनपा क्षेत्र में 75 हजार अवैध निर्माण हैं। आज तो आंकड़ोंं में यह संख्या एक लाख के भी पार जा चुकी होगी।
पुराना मनपा मुख्यालय अवैध?
सूत्रों की मानें तो मनपा का पुराना मुख्यालय भी अवैध है, क्योंकि इसका निर्माण सब्जी मार्केट और एसटी के लिए आवंटित भूमि पर किया गया। ऐसे में अवैध निर्माणों पर दूसरों को सबक सिखाने वाले विभाग खुद कब्जे की जगह पर पांच मंजिला इमारत के रूप में खड़ा है। निजामपुरा पुलिस स्टेशन भी इसी जमीन पर संचालित है। इसके अलावा प्रभाग क्रमांक चार का मुख्यालय स्टेडियम से संबंधित रिटायरिंग रूम था। इनडोर स्टेडियम की इमारत में हाजी शाह मोहम्मद कम्यूनिटी हॉल बना है तो स्वीमिंग पुल में कानूनन खाद्य पदार्थों की सख्त मनाही के बावजूद शादियों की दावत होती है। शहर के अधिकांश शौचालयों और मनपा के अन्य निर्माण कार्यों में एमआरटीपी एक्ट का खुल कर उल्लंघन किया गया है।
बिना ओसी की नई बिल्डिंग
सूत्रों ने बताया कि विभाग के नए मुख्यालय की बिल्डिंग को भी इस्तेमाल प्रमाण पत्र (ओसी) अब तक नहीं मिला है। मनपा क्षेत्र के अंतर्गत स्वर्ण जयंती नगरोत्थान महाभियान के तहत भूमिगत गटर के लिए कारिवली ग्राम पंचायत के सर्वे नंबर 187 व 153 की तीन एकड़ जमीन पर बिना किसी आवश्यक अनुमति के मल निस्तारण केंद्र के लिए भी एफटीपी प्लांट बनाया जा रहा है। मजे की बात तो यह भी कि मनपा आयुक्त का निवास भी बिना आवश्यक अनुमति के अवैध रूप से बनाया गया है। इसके ठीक उलट तीन दशक पहले बने शहर के इकलौते मीना ताई नाट्य-गृह, जो खंडहर में तब्दील हो रहा है, उसे 137 का मोडिफिकेशन और सार्वजनिक निर्माण विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहर में बने रैन बसेरे केवल कागजों पर कार्यरत हैं। इन खामियों से साफ है कि मनपा खुद ही कानूनों के घोर उल्लंघन में लगी है तो नागरिकों से कैसे कानून का पालन कराएगी।
कोर्ट के आदेश-निर्देश मनपा के ठेंगे पर
अवैध निर्माणों को लेकर दिए गए हाईकोर्ट के सख्त आदेशों और निर्देशों को भी घाघ और भ्रष्ट अधिकारी अपने ठेंगे पर रखते हैं। शिकायत के बाद भी वार्ड अधिकारी और स्थानीय पुलिस कर्मचारी कार्रवाई करने के बजाय टालमटोल कर सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगे रहते हैं। इससे शहर में अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों का हौसला बढ़ता है। यही कारण है कि समूचे भिवंडी शहर सहित पास-पड़ोस के इलाकों में चारो तरफ हजारों की तादाद में अवैध और घटिया सामग्री से बनाई गईं इमारतों का जाल फैला है।
जिम्मेदार बोले, कराएंगे हर संभव जांच
मनपा के प्रभारी आयुक्त अशोक कुमार रणखांब इस मामले में कुछ साफ-साफ कहने से बचते तो नजर आए, लेकिन तथ्यों से स्पष्ट इनकार भी नहीं किया। रणखांब ने बताया कि जल्द ही वे इस संबंध में सर्वे और जांच करा कर उचित कार्रवाई करेंगे। विशेषकर मनपा के अवैध निर्माणों को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश करेंगे।
Published on:
26 Aug 2019 02:24 am
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