महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद को लेकर अमित शाह से मिला उद्धव गुट, प्रियंका चतुर्वेदी ने दिया बड़ा बयान
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के ध्यान में रखते हुए कोल्हापुर जिले में महाराष्ट्र पुलिस एक्ट लगा दिया गया है। एक जगह पर 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर लगी पाबंदी लग गई है। यह पाबंदी आज 9 दिसंबर से 23 दिसंबर तक रहेगी। वहीं, आज कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के सांसदों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सुप्रिया सुले के नेतृत्व में शुक्रवार को संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मामले में शिवसेना उद्धव गुट की प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बड़ा बयान दिया हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के जो बयान सामने आ रहे हैं उसको लेकर हमने गृहमंत्री अमित शाह से चर्चा की। जल्द ही इस समस्या का कोई न कोई समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि महाराष्ट्र के हितों की रक्षा होगी।
इस बीच कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में महाराष्ट्र पुलिस एक्ट 37 लागू कर दिया गया है। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद एक जगह पर 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर लगी पाबंदी लग गई है। यह पाबंदी आज 9 दिसंबर से 23 दिसंबर तक जारी रहेगी।
कल MVA ने किया प्रदर्शन का एलान: बता दें कि शनिवार को महाविकास अघाड़ी (MVA) की तरफ से कर्नाटक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का एलान किया गया है। हालांकि प्रशासन और पुलिस की ओर से अब तक प्रदर्शन की कोई मंजूरी नहीं दी गई है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में 5 से अधिक लोगों के जमा होने पर 23 दिसंबर तक के लिए पूरी तरह से मनाही है। महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 37 के तहत कोल्हापुर के कलेक्टर ने निर्देश जारी किया है। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर कल महाविकास अघाड़ी के बड़े प्रदर्शन को देखते हुए यह आदेश जारी किया गया है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच साल 1957 में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद शुरू हुआ। महाराष्ट्र तभी से बेलगावी पर अपना दावा करता है, महाराष्ट्र का कहना है कि यह तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था और यहां मराठी भाषी लोग भी अच्छी खासी संख्या में रहते हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है। जबकि कर्नाटक साल 1967 में महाजन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भाषा के आधार पर हुए सीमांकन को ही अंतिम बंटवारा मानता है।
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