Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के अगले सीएम, देवेंद्र फडणवीस ने किया ऐलान
किसी शिवसैनिक को सीएम बनानामहाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सीएम पद के लिए चेहरे का चुनाव करना बीजेपी के लिए आसान नहीं था। क्योकि शिंदे खेमे पर अपने आप ही बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव को सीएम की गद्दी से उतारने का दाग लग चुका है। वो भी तब जब पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री बना हो। ऐसे में शिवसैनिकों का गुस्सा शांत करने के लिए किसी शिवसैनिक को ही इस पद पर पहुंचाना सबसे सही विकल्प था।
आपको याद होगा कि ढाई साल पहले हुए अजित पवार प्रकरण में बीजेपी को काफी बदनामी झेलनी पड़ी थी, इसलिए इस बार भगवा पार्टी जल्दबाजी में कोई गलती नहीं करना चाहती थी। बीजेपी शुरुआत से ही शिवसेना बनाम शिंदे सेना के बीच में जारी लड़ाई पर पैनी नजर बनाये हुए थी और सही मौका आते ही अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए शिंदे को सीएम उम्मीदवार बना दिया। साथ ही स्पष्ट कह दिया कि वह शिंदे की अगुवाई वाली सरकार का पूरा समर्थन करेगी और राज्य की जनता को समय से पहले चुनाव में नहीं धकेलेगी। बीजेपी अपने पास सीएम पद न रखकर राज्य के आगामी चुनाव में खुद की साफ-सुधरी छवि लेकर जनता के बीच जाएगी।
संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 4, दलबदल पर कानून कहता है, “किसी सदन के किसी सदस्य के मूल राजनीतिक दल का विलय तब हुआ माना जाएगा, जब, और केवल अगर, दो-तिहाई से कम नहीं संबंधित विधायक दल के सदस्य इस तरह के विलय के लिए सहमत हो गए हैं। इसमें जोर देकर कहा कि विलय दो राजनीतिक दलों के बीच होना चाहिए।” हालांकि, महाराष्ट्र के हालात कानूनी लिहाज से सरल नहीं है। क्योंकि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के गुट ने यह स्पष्ट किया है कि वें बीजेपी के साथ विलय नहीं करेंगे, बल्कि वे ही असली शिवसेना है। उधर, शिवसेना सुप्रीमों ने स्पष्ट कहा है कि शिवसेना उनकी है, जिसे उनसे कोई नहीं छीन सकता है। उन्होंने कई बार कहा कि शिंदे गुट ने पीठ में छुरा नहीं घोंपा है।
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी राज्य के आगामी चुनावों में खुद को मजबूती के साथ पेश करेगी। क्योकि इस कदम से वह बालासाहेब के समर्थकों को अपने अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश करेगी। अब बीजेपी शिवसेना के वोटरों के बीच जाकर यही सन्देश देगी की उसने अपने कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस को नहीं बल्कि एक कट्टर शिवसैनिक को पूरे सम्मान के साथ राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया। इतना ही नहीं बालासाहेब की हिंदू विचारधारा को भी आगे बढ़ाया।